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‘आम’ के लिए होगा सरकारी स्कूलों का शौचालय

सरकारी विद्यालयों व आंगनबाड़ी के शौचालय अब आम लोग भी इस्तेमाल कर पायेंगे. शौचालय का इस्तेमाल निर्धारित शुल्क जमा कर सुबह दस एवं शाम पांच बजे के बाद किया जा सकेगा. इसके संबंध में झारखंड शिक्षा परियोजना के राज्य कार्यालय ने सभी जिलों को पत्र भी भेजा है. डीएसइ सह डीपीओ से एक सप्ताह के अंदर शौचालय विहीन, बालिका शौचालय विहीन एवं पेयजल विहीन स्कूलों की सूची मांगी गयी है. यह सूची...

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नकद पैसे का खेल- बनवारी

जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...

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आम लोगों के दान से सुधारेंगे सरकारी स्कूलों की सेहत

गुडग़ांव। स्कूलों की दशा सुधारने के लिए प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग अब आम लोगों के साथ एनजीओ, सामाजिक संगठनों और निजी कंपनियों का सहारा ले रहा है। इसके लिए विभाग ने स्कूल नर्चर पॉलिसी बनाई है, जिसके तहत एक वेबसाइट तैयार की गई है। इस पर प्रदेश के सभी स्कूलों की जानकारी उपलब्ध होगी। जो...

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55 सरकारी स्कूलों में पानी के लिए तरस रहे बच्चे- योगेश अग्रवाल

बल्लभगढ़। जिले के ग्रामीण क्षेत्र में55 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। बच्चों और अध्यापकों को काफी दूर से पानी लेकर प्यास बुझानी पड़ रही है।यह खुलासा सर्व शिक्षा अभियान की ओर से हाल ही में किए गए सर्वे में हुआ है। शिक्षा निदेशालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इन स्कूलों में गर्मी शुरू होने से पहले पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित...

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क्रोनी पूंजीवाद और विकास- भरत झुनझुनवाला

राजतंत्र, सामंतवाद व कम्युनिज्म की तुलना में पूंजीवाद ने दुनिया में बहुत अधिक समृद्धि लायी है. पूंजीवाद की यह सफलता खुले बाजार में प्रतिस्पर्धा से हासिल हुई है. बाजार में हर व्यक्ति को प्रयोग करने, नये माल बनाने एवं नयी तकनीक के उपयोग की छूट होती है. जैसे पूंजीवाद में छूट है कि कोई किसान हाइब्रिड बीज से फसल उगाये या देशी बीज से. एक किसान सफल हुआ, तो दूसरे...

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