अर्थव्यवस्था के विकास में कुछ भयावह गड़बड़ी है. भारत आर्थिक उदारीकरण के 18 साल बाद बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है, लेकिन ऊंचे विकास के बल पर गरीबी हटाने और भुखमरी मिटाने के वायदे पूरे नहीं हो पाए हैं. वास्तव में, गरीबी और विषमता घटने के बजाय और बढ़ गई है. आर्थिक विकास जितना बढ़ रहा है उतनी ही गरीबी भी बढ़ रही है. गरीब प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के...
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पानी, जहर और जीडीपी-- देविंदर शर्मा
इस चिलचिलाती गरमी में पानी का मुद्दा गरमाया हुआ है. जैसे-जैसे तापमान चढ़ रहा है और प्रमुख जलस्त्रोत सूखते जा रहे हैं, दिन-ब-दिन पीने के पानी को लेकर खून बहने लगा है. अपनी रोजमर्रा की जरूरत भी पूरी न होने से गुस्साएं प्रदर्शनकारी सड़कों पर निकल रहे हैं. आने वाले महीनों में, पानी की अनुपलब्धता सुर्खियों में रहने वाली है. जल संकट पिछले 15 सालों से खतरे की घंटी बज रही है,...
More »जीन का जिन्न-- देविंदर शर्मा
एक बार जीन बाहर आ जाए तो इसे रोकने का कोई रास्ता नहीं है. इसका लंबे समय से डर था. सामाजिक कार्यकर्ता और सजग वैज्ञानिक इसकी चेतावनी दे चुके थे, किंतु सरकार ने आंखें मूंदे रखीं. अब डर सच साबित हो चुका है. इसने पर्यावरण प्रदूषण के एक और विनाशकारी रूप-जीन प्रदूषण पर चिंता बढ़ा दी है. जीएम धान दिल्ली के एक अनुसंधान संगठन 'जीन कैंपेन' ने पता लगाया है कि बीज कंपनी...
More »मानसून से पहले लहलहाई अर्थव्यवस्था
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अमेरिका व अन्य विकसित यूरोपीय देश अच्छी आर्थिक वृद्धि के लिए तरस रहे हैं। ऐसे में बीते वित्ता वर्ष 2009-10 की आखिरी तिमाही में भारत की विकास दर साढ़े आठ फीसदी को भी पार कर गई है। केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को जारी ताजे आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्ता वर्ष की अंतिम तिमाही [जनवरी-मार्च, 2010] में सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की वृद्धि दर 8.6 फीसदी रही है। अंतिम तिमाही के...
More »वार्षिक आर्थिक वृद्धि 7.4 प्रतिशत रही
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था ने सरकार के अनुमानों को भी पीछे छोड़ते हुए गत 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष 2009-10 में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। सरकार ने वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जबकि चालू वित्तीय वर्ष की वृद्धि 8.5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद की गई है। उम्मीद से अधिक के इस आंकड़े का एक बड़ा श्रेय पिछले वित्त वर्ष...
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