आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए घायल होने वाले एक कमांडो की सहायता के लिए ऑनलाईन अर्जी की शुरुआत की गई है।26/11 के मुंबई आंतकी हमले में घायल होने के कारण इस कमांडो को लकवा मार गया है और उसे मदद की गुहार लगानी पड़ रही है। होटल ओबेरॉय में चले अभियान के दौरान एक ग्रेनेड धमाके में एनएसजी कमांडो पी वी महेश घायल हुए और उन्हें लकवा मार गया। इस वीरता के लिए शौर्यचक्र हासिल...
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आईआईटी का नया नियम ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए शामत
जालंधर. राज्य में कम संसाधनों के साथ अपनी शिक्षा को खींच रहे ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी शायद अब आईआईटी का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। आईआईटी में एडमिशन के लिए केंद्र सरकार ने जो नए नियम तय किए हैं, उसके अनुसार 12वीं में बोर्ड के टॉप 20 फीसदी में आने वाले विद्यार्थी ही आईआईटी मेन्स की परीक्षा में बैठ सकेंगे। जबकि इससे पहले 12वीं में 60 फीसदी अंक लाने वाले विद्यार्थी परीक्षा दे सकते...
More »कड़िया की हवेली बाकी सबके झोपड़े
भले ही कड़िया मुंडा देश की सबसे बड़ी पंचायत (लोकसभा) के उपाध्यक्ष हो, लेकिन उनका गांव चांडीडीह काफी पिछड़ा है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र की जनता ने पहली बार 1977 में कड़िया मुंडा को सांसद के रूप में चुना था और इसके बाद वे सात बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. वर्ष 2009 में सांसद चुने जाने के बाद इन्हें लोकसभा का उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद मिला. भाजपा के इस वरिष्ठ...
More »सुधार का कोई रास्ता नहीं दिखता ।। संजय मिश्र की प्रस्तुति ।।
- झारखंड के बाद बिहार से पंचायतनामा प्रकाशन की तैयारियों के सिलसिले में जिलों से लेकर ब्लॉक और पंचायत तक की यात्रा पर निकला. इस दौरान बीडीओ-सीओ से लेकर डीएम-एसपी से मुलाकात हुई. मुलाकातों में चर्चा व सवाल का केंद्र था—आखिर लोकल गवर्नेस में सुधार कैसे हो सकता है और इस सुधार में पंचायती राज की क्या भूमिका है और क्या हो सकती है? अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों ने इस आग्रह के साथ...
More »भ्रष्टाचार की गंगा का मुहाना बंद करना होगा- पी साईनाथ (अनुवाद मनीष शांडिल्य)
मनमोहनॉमिक्स के करीब 20 साल पूरे हो रहे हैं, अतः उस कोरस को याद करना बहुत वाजिब होगा, जिसका राग मुखर वर्ग पहले तो खूब गर्व से और फिर खुद को दिलासा देने के लिए अलापता रहा हैः 'आप चाहे जो भी कहें, हमारे पास डॉ मनमोहन सिंह के रूप में सबसे ईमानदार आदमी हैं. उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला जा सकता'. लेकिन ऐसा अब कम सुनने को...
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