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बंगाल में साक्षर भारत मिशन प्रोजेक्ट शुरू

कोलकाता। राज्य सरकार ने बंगाल में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री के 'साक्षर भारत मिशन प्रोजेक्ट' को शुरू कर दिया है। जनशिक्षा व ग्रंथागार विभाग के मंत्री तपन राय ने बृहस्पतिवार को राइटर्स में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ विभागीय स्तर की बैठक करने के बाद पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नौ जिलों में इसकी शुरुआत की गई है जिनमें जलपाईगुड़ी, मालदा, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, बांकुड़ा, व‌र्द्धमान, वीरभूम, उत्तर व दक्षिण चौबीस...

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स्कूलों को यूपी बोर्ड की एक और सौगात

लखनऊ। सुधारों और उदारीकरण की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए यूपी बोर्ड ने स्ववित्तापोषित स्कूलों को नया तोहफा दिया है। यूपी बोर्ड से कक्षा नौ व दस की मान्यता लेने वाले स्ववित्तापोषित स्कूलों को अब कक्षा छह, सात व आठ भी चलाने की अनुमति होगी। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने रंगनाथ मिश्र मंगलवार को यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके कई फायदे...

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सर्व शिक्षा अभियान के 53 बैंक खाते बंद

रांची। सर्व शिक्षा अभियान के 526 करोड़ रुपये का अभी तक समायोजन नहीं हो सका है। राज्य परियोजना निदेशक नितिन मदन कुलकर्णी द्वारा मंगलवार को सर्व शिक्षा अभियान की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई। ज्ञात हो कि वर्तमान वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में सर्व शिक्षा अभियान के 966 करोड़ रुपये का समायोजन नहीं हुआ था। इसे लेकर कुलकर्णी ने सभी जिलों को राशि का समायोजन का सख्त आदेश दिया था। यहां यह उल्लेखनीय है...

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प्राथमिक स्कूल में हों पांच स्थायी शिक्षक : यशवंत

गगरेट : हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ का राज्यस्तरीय 24वां वार्षिक अधिवेशन मंगलवार को गगरेट में हुआ। इसमें शिक्षकों व बेरोजगार प्रशिक्षित शिक्षकों की समस्याओं पर मंथन किया गया। महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रो. यशवंत सिंह राणा ने कहा कि हड़ताली जेबीटी प्रशिक्षुओं, बाल सेविकाओं, प्रयोगशाला सहायकों और लाइब्रेरी सहायकों के बांड शीघ्र भरे जाने चाहिए। प्राथमिक शिक्षा के स्तर को सुदृढ़ करने के लिए हर प्राथमिक स्कूल में कम से कम पांच स्थायी शिक्षकों का प्रबंध किया...

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सुबह के इस दौर में भी छूट रहीं बच्चियां

पटना [जागरण टीम]। सरकारी प्रयास शुरुआती दौर पर रंग तो ला चुके हैं, लेकिन मैट्रिक के बाद की पढ़ाई-लिखाई के हलके में राज्य की ज्यादातर बच्चियों के लिए अपना वजूद बनाए रख पाना आज भी बहुत मुश्किल हो रहा है। 21वीं शताब्दी के 10 साल गुजरने के बाद भी शैक्षणिक संस्थानों की कमी और बुनियादी सुविधाओं की किल्लत ने उन्हें मैट्रिक की बाद की पढ़ाई के मद्देनजर तकरीबन 30 साल पीछे ही छोड़ रखा है। ...

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