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सहकारी बैंक की हालत हुई खस्ता

जगदलपुर. किसानों का आर्थिक स्तर बढ़ाने तथा खेती-किसानों के कामों में बढ़ोतरी के चलते ट्रेक्टर-ट्राली का ऋण 378 किसानों का स्वीकृत किया गया था। सहकारी कृषि एवं विकास बैंक को इन किसानों से 670 लाख रुपए वसूलना है। 378 में से 227 किसान डिफाल्टर हो चुके हैं। जिन पर 5 करोड़ की राशि बकाया है। सर्वाधिक दयनीय स्थिति दक्षिण बस्तर के ब्रांचों की है। दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर शाखा को किसान ढूंढने से नहीं मिल रहे...

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बीटी बैगन का पहले मनुष्यों व पशुओं पर हो परीक्षण

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि बीटी बैगन की व्यावसायिक खेती की अनुमति देने से पहले मनुष्यों और अन्य जीव जंतुओं पर पड़ने वाले इसके सभी जैविक और हानिकारक प्रभावों का परीक्षण कराया जाना चाहिए। आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि बी.टी. बैगन की व्यावसायिक खेती के प्रस्ताव का छत्तीसगढ़ सरकार ने तीव्र विरोध किया है। राज्य शासन ने इस बारे में केन्द्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री जयराम रमेश को पिछले दिनों नागपुर में...

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जनेश्वर मिश्र नहीं रहे

इलाहाबाद। छोटे लोहिया के नाम से विख्यात समाजवादी नेता जनेश्वर मिश्र का शुक्रवार को देहावसान हो गया। 77 वर्षीय मिश्र ने अपनी कर्मस्थली इलाहाबाद में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर पर बेली रोड स्थित भतीजे के आवास पर सभी दलों के कार्यकर्ता श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ पड़े। शनिवार दोपहर संगम के पास उनकी उनकी अंत्येष्टि की जाएगी। उत्तार प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और राज्यपाल बीएल जोशी ने मिश्र के निधन पर शोक जताया...

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घर से उजड़े मजदूरों ने दिया धरना

सासाराम हाड़ कपा देने वाली ठंड और ऊपर से रेल अधिकारियों का कहर। ऐसे में हम जाएं तो कहां। साहब आप ही न्याय कीजिए। सोमवार को एसडीओ कार्यालय में किसान मजदूर सभा के बैनर तेल महादलित वर्ग के मजदूरों ने धरना देकर गुहार लगाई। अस्पताली देवी, मीना डोम, मंजू, संतोष, पारस डोम, अयोध्या डोम, इंदल, अनूप सहित दर्जनों ने कहा कि एक तरफ तीन डिसमिल जमीन देकर बसाने की घोषणा की जा रही है। दूसरी...

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निर्भर नहीं, आत्मनिर्भर !- मिहिर शाह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) क्रांतिकारी जनपक्षधर विकास कार्यक्रमों का वायदा करती है। ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों द्वारा उसकी योजना, क्रियान्वयन और जांच-परख से हजारों स्थायी रोजगार पैदा हो सकते हैं। लेकिन नरेगा की लड़ाई बरसों से चले आ रहे एक बुरे अतीत के साथ है। पिछले साठ सालों से ग्रामीण विकास की योजनाएं राज्य की इच्छा और सदाशयता पर ही निर्भर रही हैं। श्रमिकों को दरकिनार करने वाली मशीनों और ठेकेदारों को काम...

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