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पूर्व सीजेआई ने कहा, आलोक वर्मा को अपनी बात रखने का मौका ना देना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है

नई दिल्ली: पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) टीएस ठाकुर ने कहा कि आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने से पहले उनका पक्ष न सुनना प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है. टीएस ठाकुर ने शनिवार को द टेलीग्राफ से कहा, ‘यदि सीबीआई निदेशक के पद से आलोक वर्मा को हटाने वाली चयन समिति ने उन्हें अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया तो यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन...

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‘आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं, नया विधेयक संविधान का उल्लंघन है’

नई दिल्ली: भारत सरकार के पूर्व सचिव पीएस कृष्णन सामाजिक न्याय के कई ऐतिहासिक कानूनों को लागू करने के पीछे महत्वपूर्ण लोगों में से एक थे. मोदी सरकार द्वारा नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने को लेकर उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान का उल्लंघन है और ये न्यायिक जांच का सामना नहीं कर सकता है. द वायर से बात करते हुए, कृष्णन ने कहा...

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‘हेल्लो बॉस! आई हैव राइट टू डिस्कनेक्ट’- लोकसभा में पेश हुआ बिल

प्रज्ञा रोज सुबह 8 बजे ऑफिस पहुंच जाती हैं. बारह घंटे काम करने के बाद जब वह रात 9 बजे अपने घर पहुंच रही होती हैं, इतने में उनके बॉस मनीष का फोन आता है. ‘तुमसे कितनी बार कहा है कि काम खत्म करने के बाद वर्क-शीट उसी दिन भेज दिया करो.' ‘सॉरी सर, मैं सुबह आते ही कर दूंगी.' ‘नहीं. मुझे अभी चाहिए. एक घंटे के भीतर. मेल मी राइट नॉउ. मैं...

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नागरिकता (संशोधन) विधेयक के ज़रिये भाजपा जिन्ना की राह पर चल पड़ी है

कमज़ोर आर्थिक हैसियत के लोगों को आरक्षण देने के मसले पर संसद में चले रहे सियासी नाटक को देखने और उसपर टिप्पणी करने में लगा हुआ था कि मेरे मोबाइल पर असम के एक साथी का एसएमएस आया: ‘आज जब नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पूरा असम सुलग रहा है तो राष्ट्रीय मीडिया में बहस 10 फीसद के आरक्षण वाले विधेयक की चल रही है.' साथी की बात एकदम सही है....

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आईटी क़ानून की ख़त्म धारा में गिरफ़्तारी का आदेश देने वालों को जेल भेज देंगे: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से उस याचिका के संबंध में जवाब तलब किया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि शीर्ष अदालत द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी कानून की निरस्त की गयी धारा 66ए के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं. निरस्त की गयी धारा 66-ए के तहत किसी भी व्यक्ति को वेबसाइट पर कथित तौर पर ‘अपमानजनक' सामग्री साझा करने पर गिरफ्तार किया जा सकता था. इस प्रावधान को...

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