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क्या सोचा क्या पाया

जिन सपनों को लेकर एक दशक पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था उनमें से कितने सपने आंखों से उतरकर जमीन पर चल पाए हैं?  नौ नवंबर को उत्तराखंड राज्य दस साल का हो गया. दस साल की उम्र किसी राज्य का भविष्य तय करने के लिए काफी नहीं होती, पर ‘पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं’ वाली कहावत के हिसाब से देखा जाए तो उस भविष्य का अंदाजा लगाने के...

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घर में अनाज नहीं था मर गया बीमार गुरुचरण

पूरा राज्य सूखाग्रस्त घोषित हो चुका है. लोगों को राहत देने की कवायद भी शुरू की जा चुकी है. सरकार दावा करती है, किसी को भूख से मरने नहीं दिया जायेगा. हर हाथ को काम, हर पेट को अनाज मिलेगा. पर यहां तो अनाज गोदामों में रखे-रखे ही सड़ जा रहे हैं. गरीब, बेबस लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे. लोग भूखों मरने पर विवश हैं. पिछले दिनों सिल्ली के...

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पानी भरेगा राज्य का खजाना

रायपुर.राज्य की नदियों से हर साल करोड़ों रुपए का पानी यूं ही बह जाता है। बर्बाद हो रहे पानी के इस्तेमाल के लिए सरकार महानदी कछार पर पांच बैराज बनाने जा रही है।इसके निर्माण पर करीब 1200 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन बैराजों से सिर्फ उद्योग जगत की जरूरतें पूरी की जाएंगी। इसके एवज में हर साल करीब 585 करोड़ रुपए आवक की उम्मीद है। जरूरत से कई गुना पानी बर्बाद...

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भू-अधिग्रहण बिल में जीविका का सवाल?

क्या सरकार आजीविका से वंचित होने वाले गरीबों की परेशानियों का ख्याल किए बगैर एक नया भू-अधग्रहण बिल लाने की तैयारी में है।जन-आंदोलनों और सामाजिक रुप से सक्रिय कई समूहों का आरोप है कि हरियाणा में पैसा दो-जमीन लो का जो मॉडल आजमाया जा रहा है या फिर मायावती सरकार जमीन पर कब्जे के लिए जो तरीके अख्तियार कर रही है वह भी अपनी जगह-जमीन से बगैर मुआवजा या पुनर्वास के उजड़ने वाले लोगों के...

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बाढ़ में बह गई दर्जनों जिंदगियां

मेरठ, जेएनएन। बाढ़ और बारिश महाकाल बनकर लोगों पर टूट पड़ी है। हादसों की बाबत सुनने वालों की भी रूह कांप रही है। बिजनौर, बरेली और शहाजहांपुर में सैलाब में दर्जनों लोग बह गए। जिनमें दस शव बरामद हो गये। बाकी लोगों के बचने की भी उम्मीद नहीं है। वहीं, बागपत में मकान गिरने से पांच लोग दबकर मर गए। बिजनौर में आठ लोगों को बचने का सहारा छप्पर ही...

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