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ताकि बैंकों की साख कायम रहे- एन के सिंह

हेनरी पॉलसन के मुताबिक, 'अगर कोई आर्थिक-तंत्र बिखरता है, तो फिर उसे पटरी पर लाना वाकई बहुत-बहुत मुश्किल हो जाता है।' भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी गंभीर संकट में उलझा हुआ है। और यह संकट मुख्यत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों, यानी एनपीए के कारण पैदा हुआ है। 31 दिसंबर, 2015 तक 24 सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए 3,93,035 करोड़ रुपये था।   अगर इसमें जोखिम वाले...

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श्रद्धा केंद्र क्यों बने हैं आंबेडकर!- उर्मिलेश

समय और समाज भी कुछ अजीब ढंग से चलते हैं. कुछ चीजें, कुछ लोग और कुछ घटनाक्रम जो हमारी सामूहिक स्मृति से लगभग गायब हो गये होते हैं, वे एक खास कालक्रम में अचानक प्रासंगिक होकर हमारी सामूहिक चेतना का हिस्सा बन जाते हैं. यह सब समाज और समय की अपनी गत्यात्मकता के कारण होता है. आठवें दशक में हिंदी पट्टी के ज्यादातर पुस्तकालयों या बुक स्टोर्स पर डाॅ भीमराव...

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हरित ऊर्जा को सस्ता बनाना ही समाधान- ब्योर्न लॉम्बॉर्ग

आज दुनिया भर के तमाम नेता अब तक के सबसे खर्चीले जलवायु परिवर्तन समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन नेताओं में शामिल होंगे। मगर सच यही है कि पेरिस समझौते की जितनी कीमत हम चुकाने वाले हैं, उसकी उपलब्धि उतनी ही कम रहने वाली है। इस समझौते में औसत वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को औद्योगिक युग के पहले के स्तर से दो डिग्री...

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सिर उठाते दिख रहे हैं दो संकट - राजीव सचान

सहज मार्ग से नाम से प्रचलित आध्यात्मिक संस्था श्रीरामचंद्र मिशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष रामचंद्र ने 1966 में प्रकाशित अपनी पुस्तक रियल्टी एट डॉन में भारत के उत्थान और पश्चिम के पराभव का एक खाका खींचा है। उन्होंने लिखा है कि इस पराभव का एक कारण पश्चिम में धरती के गर्भ में सक्रिय होने वाले ऐसे ज्वालामुखी भी बनेंगे जो अभी सुप्त अवस्था में हैं। पता नहीं, वह सब कुछ...

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कैसे भूल सकते हैं चंपारण सत्याग्रह- के सी त्यागी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अतुल्य विरासत को अजर-अमर बनाने की दिशा में जो प्रयास हो रहे हैं, वे न सिर्फ सराहनीय हैं, बल्कि प्रेरणादायक भी हैं। पिछले दिनों बिहार सरकार ने गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सौवीं वर्षगांठ मनाने का फैसला एक सर्वदलीय बैठक में किया। महात्मा के नाम पर राजनीतिक मतभेद न होना, इस बड़े फैसले का सुखद पहलू रहा। 10 अप्रैल, 1917 को पहली बार महात्मा गांधी बिहार...

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