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दुनिया की खाद्य फैक्ट्री बन सकता है भारत

देश में कृषि क्षेत्र का आधार बहुत बड़ा है। यदि इसमें तेजी से सुधारात्मक कदम उठाए गए तो यह दुनिया की खाद्य फैक्ट्री बन सकता है। उद्योग संगठन सीआईआई की ओर से आयोजित ‘फूड एंड बेव समिट 2012’ में देश के कृषिगत आधार और खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर में विकास की संभावनाओं पर चर्चा की गई। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के सचिव राकेश केकर ने कहा कि सरकार खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के विकास को लेकर गंभीर...

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आंकडों की गड़बड़ी से देश अंधेरे में : संसदीय समिति

नई दिल्ली : औद्योगिक उत्पादन और निर्यात वृद्धि के गलत आंकड़े सामने आने को संसदीय समिति ने गंभीरता से लिया है और इसकी स्वतंत्र जांच कराने पर जोर दिया है. संसदीय समिति ने कहा है कि महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़े गलत पेश किये जाने से एक बडी कमजोरी सामने आई है और इससे पूरा देश अंधेरे में लगता है. संसदीय समिति की यह प्रतिक्रिया जनवरी 2012 के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़ों में भारी फेरबदल...

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जेब पर पड़ रहा बोझ, दो माह में 25 फीसदी महंगाई बढ़ी

रायपुर. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद बाजार में खाद्य पदार्थो के दाम लगातार बढ़ रहे है। दो महीने में इनके दाम 25 फीसदी तक बढ़ गए हैं। चावल, दाल, तेल के दाम तो बढ़े ही, सब्जियों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं। व्यापारियों की मानें तो आने वाले दिनों में दाम और बढ़ने की संभावना है। खाद्य तेल व्यापारी प्रशांत धाड़ीवाल का कहना है कि सोयाबीन शिकागो से,...

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अब खुला मार्कशीट घोटाला: 96 शिक्षकों ने किया पेशे को कलंकित

नागपुर. फर्जी अंक घोटाला सिर्फ नागपुर विद्यापीठ तक सीमित नहीं है। अब यह और निचले स्तर पर उतर आया है। मनपा प्राथमिक शिक्षण विभाग में फर्जी अंक घोटाले का खुलासा हुआ है।   कुछ शिक्षकों ने करीबी और पसंदीदा छात्रों को अच्छे अंकों से पास करवाने के लिए अंकों में वृद्धि की है। लगभग 96 शिक्षकों के फर्जी अंक घोटाले में शामिल होने का खुलासा हुआ है। इन शिक्षकों को नोटिस जारी कर,...

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क्यों गायब हो रहे हैं छोटे किसान - सुभाष चंद्र कुशवाहा

आर्थिक उदारीकरण में खेती-किसानी को कहीं भी महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन भारत में कृषि नीति के प्रति सरकार की लगातार उदासीनता इसलिए घातक है कि सेवा क्षेत्र के विकास के बावजूद कृषि क्षेत्र आज भी अर्थव्यवस्था की धुरी है। यह हताशाजनक ही है कि सरकार बजट-दर-बजट खेती-किसानी को घाटे का सौदा साबित करने पर तुली है। बाहरी दबावों और कॉरपोरेट हितों के लिए कृषि क्षेत्र को तबाह करने का...

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