दुनिया की 7.1 अरब आबादी में अस्सी करोड़ यानी बारह फीसद लोग भुखमरी के शिकार हैं। बीस करोड़ भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या के साथ भारत इसमें पहले नंबर पर है। यह हाल तब है जब दुनिया में भरपूर अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों की पैदावार हो रही है। दुनिया भर में कहीं गृहयुद्ध तो कहीं प्राकृतिक आपदाओं के चलते लोग अपने घरों, अपने देश से दर-बदर हो रहे...
More »SEARCH RESULT
अर्थव्यवस्था पर मुस्तैदी जरूरी-- डा. अवनीन्द्र ठाकुर
पिछले कुछ समय से भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में आये कई आंकड़ों ने वर्तमान सरकार की कई नीतियों की सफलता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है. उदाहरण के तौर पर देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में कमी, सरकारी एवं निजी क्षेत्र में रोजगार की कमी, औद्योगिक विकास की चिंताजनक स्थिति इत्यादि कुछ आंकड़े हैं, जो सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. इस परिप्रेक्ष्य में...
More »हमारे पर्व और पर्यावरण-- रोहित कौशिक
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी, जो इकतीस अक्तूबर तक जारी रहेगी। हालांकि न्यायालय ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखे की बिक्री की इजाजत देने वाला उसका बारह सितंबर का आदेश एक नवंबर से प्रभावी होगा। दरअसल, धार्मिक पर्वों से संबंधित आस्था हमारे अंदर एक नए आत्मविश्वास का संचार कर जिंदगी के सफर को बिना अवरोध के आगे बढ़ाने में...
More »रसायनों से जहरीली होती जमीन -- पंकज चतुर्वेदी
हाल ही में महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में कीटनाशक की चपेट में आकर अठारह किसानों और खेत में काम कर रहे मजदूरों की मौत हो गई है। बीते बीस दिनों के दौरान कोई पांच सौ किसान और श्रमिक अस्पताल में भर्ती हुए हैं। असल में, इस इलाके में कपास की खेती होती है। इस बार कपास में गुलाबी कीड़े (पिंक बोलवर्म) आ गए हैं। मजबूरन किसानों ने प्रोफेनोफॉस जैसे जहरीले...
More »लोगों की निराशा का कारण-- एम के वेणु
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के हाल में आये कंज्यूमर कांफिडेंस सर्वे से यह बात सामने आयी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर लोगों में एक प्रकार का नैराश्य भाव है. इसी साल कुछ महीने पहले भी आरबीआइ ने एक ऐसा ही सर्वे किया था, जिसमें उसने पाया था कि बेरोजगारी और अपनी आय को लेकर आम आदमी में निराशा की भावना साल 2013-14 में खराब अर्थव्यवस्था के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रबल...
More »