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समानता के पहरुए- अरुण माहेश्वरी

जनसत्ता 2 नवंबर, 2012: नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और इससे निपटे बिना मुक्ति, यानी आर्थिक-संकटों की लहरों में डूबने से बचने का रास्ता नहीं है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ पत्रिका के ताजा अंक (13-19 अक्तूबर) में विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में उन्नीस...

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पटना से शुरू होगी जन लोकपाल के लिए लड़ाई

मुंबई: सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने बुधवार को कहा कि जन लोकपाल और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के लिए जनवरी (2013) में पटना से लड़ाई शुरू होगी. उन्होंने कहा, अब हमने फैसला किया है कि देशव्यापी दौरा जनवरी में उस स्थान से शुरू होगा, जहां से जयप्रकाश नारायण ने अपने आंदोलन की शुरुआत की थी. कहा, हजारों युवाओं ने आंदोलन में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की है और प्रौद्योगिकी नेटवर्क की मदद...

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अन्ना का फैसला चौंकाने वाला: केजरीवाल

नयी दिल्ली : भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के राजनैतिक समूह से अपने संबंध तोडने वाले अन्ना हजारे के फैसले को अरविंद केजरीवाल ने चौंकाने वाला और अविश्वसनीय बताया है. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हजारे के सिद्धांत ही उनके राजनैतिक दल की नींव बनेंगे. अपने अगले कदम के बारे में कुछ समर्थकों से चर्चा करने के बाद केजरीवाल ने संवाददाताआंे को बताया, ‘‘हम अन्ना हजारे का सम्मान करते हैं. वे हमारे गुरु और...

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एक आंदोलन का पुनरुद्धार!- शिरीष खरे(तहलका, हिन्दी)

क्या जल सत्याग्रह की सफलता पिछले 26 साल से चल रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन में नई जान फूंक पाएगी? शिरीष खरे की रिपोर्ट. पिछले दिनों जल सत्याग्रह के चलते मध्य प्रदेश के खंडवा जिले का घोघलगांव सुर्खियों में आया और उसी के साथ नर्मदा बचाओ आंदोलन भी. नर्मदा घाटी में जल सत्याग्रह का तरीका नया नहीं है. 1991 में मणिबेली (महाराष्ट्र) का सत्याग्रह जल समाधि की घोषणा के साथ ही चर्चा में...

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राजनीति नहीं, लोकनीति चाहिए

अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन के बाद देश में वैकल्पिक राजनीति की जरूरत पर नई बहस छिड़ी है। इसका स्वागत होना ही चाहिए, पर राजनीति तो राजतंत्र के जमाने की चीज है। उसकी लोकतंत्र में कोई जगह होनी ही क्यों चाहिए? जब हमने वैकल्पिक राजनीति की बात शुरू की है, तो क्यों न लोकनीति की बात करें? राजनीति का ककहरा सत्ता और अधिकारों की बंदरबांट से शुरू होता...

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