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राशन की दुकानों पर अब 13 रुपए किलो चावल

जोधपुर। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन की दुकानों पर अब उपभोक्ताओं को सस्ती दर 13 रुपए किलो से चावल दिए जाएगें। वर्तमान में बाजार में चावल 20 से 60 रुपए किलो तक मिल रहे है। जिला रसद विभाग ने राशन की दुकानों के जरिए उपभोक्ताओं को चावल देने के लिए एक हजार क्विंटल चावल मंगवाया है। रसद अधिकारी वीपीसिंह के अनुसार 15 से 21 जून के बीच एक सप्ताह तक खुलने वाली दुकानों के...

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उत्तराखंड में अनाज का संकट

उत्तराखंड को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग की है। राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री दिवाकर भट्ट के मुताबिक गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) वालों के लिए केंद्र से की जाने वाले खाद्यान्न की आपूर्ति में 77 फीसदी की कटौती हो गई है और इस वजह से राज्य में गेहूं और चावल की कमी पैदा हो गई...

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एपीएल ग्राहकों को राशन में मिलेगा अतिरिक्त चावल-गेहूं

कोलकाता। राज्य में गरीबी रेखा के ऊपर (एपीएल) के ग्राहकों को राशन में अतिरिक्त चावल व गेहूं मिलेगा। प्रति परिवार को निर्धारित आवंटन के अलावा महीने में अतिरिक्त पांच किलो चावल व पांच किलो गेहूं मिलेगा। जून-जुलाई से इसके लागू हो जाने की उम्मीद है। खाद्य विभाग सूत्रों के मुताबिक फिलहाल राशन में राशन में गरीबी रेखा के ऊपर के ग्राहकों को महीने में छह रुपये किलो की दर से गेहूं व नौ...

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राशन का गेहूं और मंहगा

जयपुर, जासंके: महंगाई से जूझ रहे लोगों को अब राशन की दुकानों पर भी झटका लगेगा। राज्य सरकार ने राशन दुकानों पर मिलने वाले गेहूं की कीमतों में 20 पैसे प्रतिकिलों की वृद्धि कर दी है। राशन विक्रेताओं के कमीशन में वृद्धि का भार समायोजित करने के लिए सरकार ने ऐसा किया है। राज्य में वर्तमान में करीब एक करोड़ 18 लाख एपीएल परिवार हैं। राशन दुकानों पर 6.80 रुपए प्रति किलो की दर से...

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भूखे बुंदेलों के हक पर अमीरों का डाका

उरई। बुंदेलखंड के बीहड़ में बसे गांवों के लोग भुखमरी के मुहाने पर खडे़ हैं। उरई जिले के नंदीगांव व रामपुरा ब्लाकों के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के घरों में महीने में बमुश्किल 15 दिन ही चूल्हा जलता है और वह भी एक समय। ज्यादातर भूमिहीन और गरीबों के पास बीपीएल और अंत्योदय कार्ड तक नहीं हैं। पूरा भोजन ना मिलने से महिलाएं, पुरुष और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। दलित बाहुल्य गांवों की हालत...

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