-डाउन टू अर्थ, कोरोनावायरस ने हम इंसानों के साथ-साथ प्रदूषण पर भी शिकंजा कसा हुआ है। वायरस का संक्रमण रोकने के लिए हो रहे जनता कर्फ्यू और लॉक डाउन जैसे उपायों से सड़कों पर उतरने वाले वाहनों की तादाद में खासी कमी आई है। इससे खासतौर पर वाहनों के धुएँ से होने वाले नाइट्रोजन आक्साइड और पीएम 2.5 के प्रदूषण में गिरावट आई है। केन्द्र सरकार द्वारा संचालित संस्था सफर की...
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सामाजिक असमानताओं के कुचक्र में फंसा 'डिजीटल इंडिया' का सपना
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की एक हालिया रिपोर्ट डिजिटल डिवाइड और भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के विरोधाभास को उजागर करती है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की ‘भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, जुलाई 2017 से जून 2018' नामक रिपोर्ट में कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयोगिता के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन काफी स्पष्ट दिखता है. शिक्षा पर 75वें दौर के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की...
More »अरुधंति रॉय: क्षितिज पर मदद का कोई निशान नज़र नहीं आता
प्यारे दोस्तो, साथियों, लेखको और फ़नकारो! यह जगह जहां हम आज इकठ्ठा हुए है, उस जगह से कुछ ज़्यादा फ़ासले पर नहीं है जहां चार दिन पहले एक फ़ासिस्ट भीड़ ने— जिसमें सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से भाषणों की आग भड़क रही थी, जिसको पुलिस की सक्रिय हिमायत और मदद हासिल थी, जिसे रात-दिन इलेक्ट्रॉनिक मास-मीडिया के बड़े हिस्से का सहयोग प्राप्त था, और जो पूरी तरह आश्वस्त थी कि अदालतें...
More »उम्मीदें बजट 2020: कस्बों के अस्पताल दुरुस्त हो जाएं तो बड़े अस्पतालों पर कम पड़े बोझ
लखनऊ। सरकारी अस्पतालों में लगने वाली लंबी-लंबी लाइनें, प्राइवेट अस्पतालों के बढ़ते खर्चे के बीच सभी की निगाहें देश के अगले बजट पर हैं। क्या प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की हालत सुधारने के लिए बजट में खास व्यवस्था होगी? देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं पर जारी होने वाली रिपोर्ट 'नेशनल हेल्थ प्रोफाइल-2018' के अनुसार देश में 37,725 सरकारी अस्पतालों में 7,39,024 बेड हैं। करीब 10 हजार लोगों पर सिर्फ एक एलोपैथिक...
More »जैसा बताया जाता है, क्या नेताजी और महात्मा गांधी के बीच वैसी ही दूरियां थीं?
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर जब आप ये शब्द पढ़ रहे होंगे, उसी समय सोशल मीडिया से लेकर अन्य मंचों पर नेताजी के बरक्स महात्मा गांधी की भी चर्चा चल रही होगी. ठीक है कि भारत की आज़ादी का कोई भी विमर्श महात्मा गांधी का नाम लिए बिना पूरा नहीं हो पाता. लेकिन आज नेताजी को महात्मा के खिलाफ ऐसे ही खड़ा किया जा रहा है मानो...
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