नई दिल्ली। जेनरिक दवाएं गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। खासकर भारत जैसे विकासशील देश में इनकी अहमियत और हो जाती है, जहां गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली की बड़ी हिस्सेदारी है। दो जून की रोटी की जुगाड़ में लगे रहने वाले भारतीय परिवारों के कुल स्वास्थ्य पर खर्च का 72 फीसद केवल दवाओं के मद में जाता है। क्या हैं जेनरिक दवाएं: जब कोई दवा कंपनी किसी...
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बच्चों की तस्करी का केंद्र बने गरीब राज्य-मनोज कुमार झा
नई दिल्ली. यूनिसेफ के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष लाखों बच्चे गायब होते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय का भी मानना है कि बड़े पैमाने पर बच्चे गायब हो रहे हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर 2008 से लेकर अब तक 4 लाख से ज्यादा बच्चे गायब हो चुके हैं। ज्यादातर बच्चे देश के गरीब राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश आदि से गायब होते...
More »सेहत का बीमा या मुनाफे का- अरविन्द कुमार सेन
जनसत्ता 24 दिसंबर, 2012: राजीव गांधी एक मर्तबा राजस्थान के दौरे पर गए थे और अपनी सभा खत्म होने के बाद पंडाल से निकलते समय स्थानीय लोगों से उनकी दिक्कतों के बारे में पूछ रहे थे। कुछ किसानों ने कहा कि साहब पिछले साल हरी मिर्च के दाम आसमान पर चल रहे थे तो नफे की आस में हम लोगों ने इस बार पूरे खेत में मिर्च बोई थी। हरी मिर्च...
More »आप कितने सही हैं, डॉ सिंह?- पी साईनाथ( अनुवाद-मनीष शांडिल्य)
प्रिय प्रधानमंत्री जी, मुझे यह जानकर खुशी हुई कि सुप्रीम कोर्ट को ‘‘सम्मानपूर्वक’’ फटकारते हुए आप ने कहा है कि अनाज, सड़ते हुए खाद्यान्न का निपटारा जैसे सभी सवाल नीतिगत मामले हैं. आप बिल्कुल सही कह रहे हैं और बहुत दिनों बाद ऐसा किसी ने कहा है. ऐसा कर आप संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सार्वजनिक बयानबाजी में ईमानदारी लाने की एक छोटी-सी कोशिश कर रहे हैं, जिसकी बहुत कमी महसूस की जा रही थी. बेशक यह...
More »कड़वे बादाम : दिल्ली के बादाम उद्योग में मज़दूरों का शोषण
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दूर-दराज़ कोने में बसी हुई, शोर-ग़ुल और चहल-पहल भरी करावलनगर की बस्ती, अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों का एक उभरता हुआ केन्द्र है, जहाँ बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूर और उनके परिवारों को रोज़गार मिलता है। ये उद्यम किसी भी मानक से छोटे नहीं है। वैश्विक सम्बन्धों की जटिल श्रृंखला में बँधे ये उद्यम, सालभर चालू रहते हैं और हज़ारों मज़दूरों के रोज़गार का स्रोत हैं। कई करोड़...
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