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आंदोलन के आठ महीने: ट्रैक्टर पर राहुल गांधी, महिलाओं की किसान संसद, ‘मिशन यूपी’ की शुरुआत

-जनपथ, आज 26 जुलाई 2021 को किसान आंदोलन भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर निरंतर विरोध प्रदर्शन के आठ महीने पूरे कर रहा है। आज जंतर-मंतर पर किसान संसद का संचालन पूरी तरह महिलाएं करेंगी। महिला किसान संसद भारतीय कृषि व्यवस्था में और चल रहे आंदोलन में, महिलाओं द्वारा निभायी जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाएगी। महिला किसान संसद के लिए विभिन्न जिलों से महिला किसानों का काफ़िला मोर्चे पर...

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2019 में कर्नाटक के सत्ता परिवर्तन में हो सकती है सर्विलांस की भूमिका: लीक डेटा

-द वायर, इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के अज्ञात भारतीय क्लाइंट की दिलचस्पी वाले फोन नंबरों के रिकॉर्ड की द वायर  द्वारा की गई समीक्षा में सामने आया है कि कर्नाटक में विपक्ष की सरकार गिरने से पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री जी. परमेश्वर और तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के निजी सचिवों के फोन नंबर को संभावित हैकिंग के लिए बतौर टारगेट चुना गया था. ये नंबर फ्रांस की मीडिया नॉन-प्रॉफिट फॉरबिडेन स्टोरीज़...

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कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-6: उत्तर प्रदेश के कई गांवों में एक भी ग्रामीण को नहीं मिला काम

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 महामारी के पहले दौर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने ग्रामीणों को बहुत सहारा दिया। सरकार ने भी खुल कर खर्च किया। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर में मनरेगा ग्रामीणों के लिए कितनी फायदेमंद रही, यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने देश के पांच सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों में मनरेगा की जमीनी वस्तुस्थिति की विस्तृत पड़ताल की है। इस कड़ी की...

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कोरोना की दूसरी लहर और मनरेगा-3: बिहार में मजदूरों को मांग के मुताबिक नहीं मिल रहा काम

-डाउन टू अर्थ, कोविड-19 महामारी के पहले दौर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने ग्रामीणों को बहुत सहारा दिया। सरकार ने भी खुल कर खर्च किया। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर में मनरेगा ग्रामीणों के लिए कितनी फायदेमंद रही, यह जानने के लिए डाउन टू अर्थ ने देश के पांच सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों में मनरेगा की जमीनी वस्तुस्थिति की विस्तृत पड़ताल की है। इस कड़ी की...

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काम जारी है

-कारवां,  फुर्सत के नायाब पल में पांच दिसंबर 1956 की रात भीमराव आंबेडकर दिल्ली के अलीपुर रोड स्थित अपने किराए के मकान में रेडियोग्राम पर बज रही बौद्ध प्रार्थना को सस्वर दोहरा रहे थे, “बुद्धम शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि, संघम शरम् गच्छामि” कि तभी उनका रसोइया डिनर के लिए आने को कह कर उनका ध्यान-भंग करता है. उन्हें थोड़ा-सा चावल खाने के लिए बहुत मान-मनौव्वल करना पड़ता था. डाइनिंग टेबल तक...

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