दुनिया की सरकारों द्वारा पिघलते बर्फ की दास्तान जो भले ही मानवता के ‘सरवाइवल’ से जुड़ी है, नकार दी गयी है. शायद इसीलिए विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2014) का जो थीम है, वह आम नागरिकों को आगाह करने पर केंद्रित है. ‘रेज योर वॉइस, नॉट द सी-लेवल’ यानी हम आवाज उठायें, हम अपना आचरण बदलें, ताकि ग्लोबल वार्मिग कम हो और समुद्र का जलस्तर का बढ़ना बंद हो. मई 2014...
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बायोचर से ग्रीनहाऊस गैस का हल
पारंपरिक तरीके से की जानेवाली खेती से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सजर्न का समाधान हो सकता है. खेती के इस्तेमाल में लायी जानेवाली मिट्टी में काफी तादाद में बायोचर और उसका मिश्रण बनाया जा सकता है. इसमें पाये जानेवाले सूक्ष्मजीवियों की गतिविधियों से नाइट्रस ऑक्साइड के उत्सजर्न को कम किया जा सकता है. ‘साइंस डेली’ की एक खबर में बताया गया है कि नाइट्रोजन खादों के प्रभावी इस्तेमाल के लिए भी यह...
More »उत्तराखंड के सबक- रोहित जोशी
जनसत्ता 21 जून, 2013: पिछले सालों में बरसात का मौसम उत्तराखंड के लिए तबाही का मौसम साबित हुआ है। अबके मानसून की पहली बारिश ही उत्तरकाशी, केदारनाथ, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और बागेश्वर में बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन का मंजर लेकर आई है। जबकि अभी बरसात का पूरा मौसम बाकी है। यों तो आंख मूंद कर इन आपदाओं को सिर्फ प्राकृतिक माना जा सकता है और आपदा-राहत में...
More »'भूखे मरने से अच्छा है कीड़े-मकोड़े खाएं'
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र ने भुखमरी से निपटने के लिए कुछ नए विकल्प पेश किए हैं। ये पौष्टिक भी हैं और पर्यावरण संरक्षण में मददगार भी। हो सकता है कि ये आपके इर्द-गिर्द रेंग या उड़ रहे हों। बात कीड़े-मकोड़ों की ही हो रही है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने सोमवार को जारी एक शोध रपट में कहा है कि चीटियां, टिड्डे और अन्य कीड़े-मकोड़े ऐसे खाद्य...
More »डरबन से क्या हासिल हुआ- अजय झा
जनसत्ता 20 दिसंबर, 2011: डरबन में जलवायु संकट पर अपने निश्चित समय से छत्तीस घंटे देर तक चली अंतरराष्ट्रीय शिखर वार्ता की सबसे खास बात यह थी कि किसी भी महत्त्वपूर्ण पहलू पर समझौता हुए बिना इसके परिणाम को एक बड़ी कामयाबी की तरह पेश किया गया। बकौल आयोजक और विकसित देश, समझौता अत्यधिक सफल रहा। मंत्री मशाबेन, जो कि वार्ता की अध्यक्ष थीं, ने पिछली अध्यक्ष मैक्सिको की पैट्रीशिया...
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