-जनपथ, 88वां दिन, 20 फरवरी 2021 एक तरफ सरकार गलत फॉर्मूला जोड़ कर कम MSP देती है दूसरी तरफ दिनों दिन बढ़ती तेल की कीमतें भी इनपुट लागत बढ़ा रही है। किसानों के साथ साथ देशभर के आम नागरिकों को भी पेट्रोल, डीजल, एवं गैस की बढ़ती कीमतों से भारी नुकसान होगा। बढ़ती कीमतों के खिलाफ देशभर में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। AIKKMS ने हरियाणा के झज्जर एवं रेवाड़ी में पेट्रोल...
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पंचतत्व: विकास को संतुलन चाहिए और चैनलों को विज्ञान रिपोर्टर वरना ग्लेशियर ‘टूटते’ रहेंगे!
-जनपथ, इंसान होने के नाते हम सबकी कुछ ज़रूरतें हैं, जिन्हें पूरा किया जाना है. आखिर, उत्तराखंड, हिमाचल और ओडिशा की जनता को भी वही सुख-साधन क्यों नहीं चाहिए जो दिल्ली में रहने वालों को मुहैया हैं? विकास नाम के लुभावने वादे में निचाट गरीबी से निपटने की चुनौती छिपी है और इसमें संसाधनों के अंधाधुंध दोहन का खतरा भी है. संतुलन साधा जा सकता है, बस नजरिया सही होना चाहिए. न...
More »एक लड़ाई मुहब्बत की: यलगार परिषद 2021 में अरुंधति रॉय
-जनपथ, मैं 2021 यलगार परिषद के आयोजकों का शुक्रिया अदा करती हूं कि उन्होंने मुझे आज के दिन इस मंच पर बोलने के लिए बुलाया. आज जो रोहित वेमुला की 32वीं सालगिरह रहा होता, और जो 1818 में भीमा कोरेगांव की लड़ाई में जीत का दिन है. वह जगह यहां से दूर नहीं है, जहां ब्रिटिश आर्मी में लड़ने वाले महार फौजियों ने पेशवा राजा बाजीराव द्वितीय को हराया था, जिनकी...
More »संसद खुलने पर आज किसानों के समर्थन में विपक्ष करेगा राष्ट्रपति के भाषण का बहिष्कार
-जनपथ, कृषि कानूनों के खिलाफ और किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया है। बहिष्कार करने वाले कुल 16 राजनीतिक दल हैं: कांग्रेस पार्टी, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआइ, सीपीएम, आरएसपी, पीडीपी, एआइयूडीएफ सहित कई अन्य राजनीतिक दल। इन दलों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है।...
More »पंचतत्व: अवध की एक नदी का वध
-जनपथ, भारत दैट इज़ इंडिया में हमें जिसकी दुर्गति करनी होती है हम उसको मां कह देते हैं. गंगा मां की मिसाल तो आपको पता है ही. अपन दूसरा काम यह करते हैं कि उसको सजाने-धजाने में, चूनर चढ़ाने में या फिर आरती करने में लग जाते हैं. गंगा की आरती तो दशाश्वमेध पर होती ही थी, अब तो सुना कानपुर के गंधाते घाटों पर भी होती है. एक और फैशन...
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