तेलंगाना का छोटा गांव है माचनूर। वैसे तो यह गांव आम गांव की तरह है लेकिन सामुदायिक रेडियो ने इसे खास बना दिया है। इस गांव का नाम इतिहास में दर्ज हो गया है, देश का पहला सामुदायिक रेडियो इसी गांव में स्थापित हुआ। एक और इतिहास बना, वह है दलित महिला किसानों ने इसे चलाया। वे रिकार्डिंग से लेकर कार्यक्रम प्रसारित करने तक के सभी काम करती हैं। संगारेड्डी जिले...
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एलीट यूनिवर्सिटी के सवर्ण युवाओं के साथ एक दलित बुद्धिजीवी का एक दिन
हाल ही में मैं साल के आखिरी दिनों में हिमाचल प्रदेश की सुरम्य वादियों में स्थित एक नामी इंस्टीट्यूट में आयोजित किये गए ‘नई दिशाएं' कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आये युवाओं से मिला. ये विद्यार्थी अशोका, जिंदल जैसी एलीट प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ और आईआईटी जैसे कई प्रतिष्ठित संस्थानों से आये थे. इनमें ज़्यादातर युवा अंग्रेज़ी भाषी सवर्ण वर्ग के थे, बहुत कम ही रिज़र्व कैटेगरी व अल्पसंख्यक समुदाय...
More »खेती और गांव की बदहाली-- डा. अश्विनी महाजन
नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नबार्ड) ने अखिल भारतीय ग्रामीण समावेशी वित्तीय सर्वेक्षण, 2016-17 की रिपोर्ट में जो आंकड़े जारी किये हैं, इससे पता चलता है कि कृषि में संलग्न गृहस्थों की आमदनी में खेती और सहायक गतिविधियों जैसे पशुपालन इत्यादि से मात्र 43 प्रतिशत ही आमदनी मिलती है, जबकि शेष 57 प्रतिशत आय नौकरी, मजदूरी, उद्यम इत्यादि से प्राप्त होती है. ऐसे गृहस्थ जो कृषि में संलग्न...
More »नई उड़ान को तैयार अल्पसंख्यक- शाहनवाज हुसैन
किसी भी राष्ट्र की तरक्की सीधे-सीधे उसके लोगों, उसकी आबादी की तरक्की से जुड़ी होती है। इसीलिए मोदी सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास' के मूलमंत्र को लेकर आगे बढ़ रही है। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का सर्वांगीण विकास भी देश की इसी यात्रा का एक अहम हिस्सा है। प्रधानमंत्री जो ध्येय लेकर चल रहे हैं, उसका मकसद है- अल्पसंख्यक समुदाय का हर बच्चा शिक्षित हो, हर नौजवान प्रशिक्षित हो, हुनर रोजगार...
More »हजारों खाली फ्लैट और बेघर लोग- सुभाष गाताडे
देश में तेजी से हो रहे औद्योगिकीकरण और नये-नये इलाकों में आप्रवासियों के लिए बनते नये उपनगरों में अनुमान के हिसाब से लोगों के न पहुंचने से वहां बिल्कुल खाली पड़े लाखों मकानों के बारे में अक्सर चर्चा होती है. कहा जा रहा है कि चीन में पचास से अधिक ऐसे इलाके हैं, जहां नवनिर्मित आवासीय इकाइयां लगभग खाली पड़ी हैं. विडंबना ही है कि अब भारत में भी...
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