गोपालपुर/श्रीकाकुलम/नई दिल्ली। भीषण चक्रवाती तूफान पेलिन ने ओड़िशा और उत्तरी तटीय आंध्र में तबाही तो मचाई लेकिन पर्याप्त एहतियात बरतने के कारण जनहानि नहीं हुई। तूफान से करीब 90 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, 2.34 लाख घर क्षतिग्रस्त हो गए जबकि 2400 करोड़ रुपए की धान की फसल बर्बाद हो गई। पेलिन को पिछले 14 साल में आया सबसे भीषण तूफान माना जा रहा है लेकिन 1999 में आए तूफान...
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एक तिहाई क्षेत्रों में ज्यादा बारिश
इस साल मानसून सीजन में देश के एक तिहाई हिस्से में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। हालांकि कुछ क्षेत्रों में बारिश सामान्य से 28 फीसदी तक कम रही है। उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र में मानसून का असर अब खत्म हो गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार देश के 53 फीसदी हिस्से में एक जून से 18 सितंबर के बीच सामान्य बारिश हुई। जबकि कुछ क्षेत्रों में औसत से कम बारिश हुई। कुछ...
More »मरती भाषाओं के दौर में- शेखर पाठक
जनसत्ता 13 सितंबर, 2013 : कभी रघुवीर सहाय ने कहा था, ‘न सही कविता मेरे हाथ की छटपटाहट सही’। यही बात भाषा के बारे में कही जा सकती है। सिर्फ मनुष्य अपनी छटपटाहट को भाषा यानी शब्द दे सका है। यह कहानी सत्तर हजार साल पहले शुरू होती है, हालांकि लिपियों का संसार करीब पांच हजार साल पहले बनना शुरू हुआ। आज भाषा मानव अस्तित्व की अनिवार्यता और पहचान हो...
More »आफत: 100 रुपये किलो तक हुए टमाटर के दाम, 5 रुपये में एक अंडा
उत्तराखंड में त्रासदी, हिमाचल में भारी वर्षा और यमुना नदी में आई बाढ से टमाटर की फसल को हुए भारी नुकसान की वजह से इसके दाम खुले बाजार में भडककर 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। प्याज भी पिछले एक पखवाडे के दौरान सुर्ख होकर 50 प्रतिशत तक महंगी हो गई है। वहीं, दाम बढ़ने के बीच 1 अंडे के लिए भी लोगों को 5 रुपये देने पड़...
More »आपदा का खोखला प्रबंधन!
उत्तराखंड में प्रकृति की विनाशलीला शायद कम हो सकती थी, अगर समय रहते इससे निबटने के लिए जरूरी इंतजाम कर लिये गये होते. लेकिन सीएजी की रिपोर्टो और नागरिक समाज द्वारा दी जानेवाली चेतावनियों के बावजूद भी सरकार नहीं चेती. कैसे काम करता है हमारा आपदा प्रबंधन तंत्र, आपदाओं का सफलतापूर्वक सामना करने में क्यों चूक जाते हैं हम, बता रहा है नॉलेज.. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि हमलोग...
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