खाद्य सुरक्षा. 85% आबादी को दिलाना है लाभ राज्य में कुल 8.71 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ मिलेगा, पर अब तक राज्य सरकार अनाज के लिए केंद्र को 8.57 करोड़ लोगों की ही सूचना दे सकी है. पटना : पिछले दो साल से राज्य के वैसे 14 लाख गरीबों की खोज नहीं की जा सकी है, जिन्हें खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दो रुपये किलो गेहूं और तीन...
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भाकपा माओवादी से नाता तोड़ जनकल्याण में जुटा है चिलगू
अपने देश में रत्नाकर और अंगुलीमाल डाकू के बारे में कौन नहीं जानता. इनका हृदय परिवर्तन हुआ, तो साधु बन गये. चंद्रशेखर उरांव उर्फ चिलगू का भी हृदय परिवर्तन हुआ. वह खूंखार उग्रवादी से समाजसेवी बन गया. आज गुमला के भरनो प्रखंड का जिला परिषद सदस्य है. सात साल तक आतंक का पर्याय रहे इस शख्स ने युवाओं को मुख्यधारा से न भटकने देने का संकल्प लिया है. अंकित/सुनील भरनो...
More »पंचायत चुनाव : उम्मीदवारी में पुरुषों पर महिलाएं भारी
पटना : पंचायत चुनाव में पटना जिले में आपको महिला उम्मीदवार ज्यादा दिखायी देंगी क्योंकि नामांकन में महिलाओं ने पुरुषों से बाजी मार ली है. इस बार पटना के 23 प्रखंडों में 27160 उम्मीदवार भाग्य आजमायेंगे, जिनमें महिलाएं 14 हजार 60 हैं , जबकि पुरुष 13 हजार 40. इसे पंचायत चुनाव में महिलाओं की बढ़ती दिलचस्पी कहिए या कुछ और, लेकिन कुल किये गये नामांकन में 1020 महिलाएं पुरुषों की...
More »क्या गरीबी एक राजनीतिक पूंजी है? - विजय संघवी
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में कहा कि भारत में गरीबी कायम रखने में कांग्रेस का योगदान था, क्योंकि गरीबों को वे वोटबैंक की तरह मानते थे। शाह ने जो कहा, वह एक राजनीतिक आम धारणा भी है। लेकिन इस कथन की विस्तार से पड़ताल करने के लिए हमें इसके विभिन्न् परिप्रेक्ष्यों को ठीक से समझना होगा। जॉन राल्स्टन सॉल ने तीन तरह के छवि-निर्माताओं की तस्दीक की है।...
More »कितने बदल रहे हैं हमारे गांव-- आर विक्रम सिंह
समस्याएं चिह्नित करना एक बात है, समाधान के रास्ते खोजना दूसरी बात। हमारे गांवों में अशिक्षा है, बेरोजगारी है, बीमारियां हैं, जमीनों के विवाद, मुकदमे हैं। जात-पांत की सामाजिक समस्याएं बरकरार हैं। हां, शोषण का वह रंग अब नहीं है, जो प्रेमचंद के उपन्यासों में मुखर होता है। कथित उच्च वर्ग में श्रम से अरुचि, दलित वर्ग में शिक्षा से अरुचि भी वहीं की वहीं है। नगरों की ओर पलायन...
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