-कारवां, 16 जुलाई तक बिहार में कोविड-19 मामलों की संख्या दोगुनी होकर 20612 तक पहुंच गई थी. संक्रमित लोगों में राज्य और राजनीतिक प्रतिष्ठान के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल है जिसके चलते महामारी को लेकर राज्य की प्रतिक्रिया धीमा हो रही है. यह तब है जब परीक्षणों के मामले में राज्य सबसे कम परीक्षण करने वाले राज्यों में गिना जा रहा है. परीक्षण का राष्ट्रीय औसत 9289 प्रति 10 लाख है...
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क्या मनरेगा के लिए आंवटित अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज लॉकडाउन के दौरान वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए मददगार साबित होगा ?
साल 2020 की शुरुआत में सामाजिक कार्यकर्ताओं और संबंधित अर्थशास्त्रियों ने साल 2020-21 के लिए गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की मांग की. लेकिन 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा के तहत केवल Rs.61,500 करोड़ आवंटित किए. जोकि 2019-20 में मनरेगा पर खर्च किए गए फंड की तुलना...
More »इस महामारी ने भारत को 'अनिश्चितता की स्थिति' में डाल दिया है
-न्यूजक्लिक, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शुक्रवार को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि राज्य के कुछ तटीय क्षेत्रों में सामुदायिक संक्रमण (community transmission) शुरू हो गया है। संक्षेप में, पिनाराई ने वही बात कह दी है,जिसे अखिल भारतीय स्तर पर 'बेहद गुप्त' रूप से छुपाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने एक ऐसे संवेदनशील मुद्दे को खुलकर सामने रख दिया है, जिसे दूसरे मुख्यमंत्री स्वीकार करने से बच रहे हैं। मगर,...
More »दूसरी ‘महामारी’
-इंडिया टूडे, बीमारी तो चली जाएगी लेकिन ‘महामारी’! करीब 80 बसंत देख चुके बाबा ने गांव लौटते मजदूरों को देखकर कपाल पर हाथ मारा तो लोग पूछ बैठे कौन-सी महामारी! बाबा बुदबुदाए, नहिं दरिद्र सम दुख... अनुभव-पके बाबा ने जो लॉकडाउन के दौरान देखा था वही अब आंकड़ों में उभर रहा है. वर्षों बाद भारत में प्रति व्यक्ति आय में कमी (5.7 फीसद) हुई है जो जीडीपी में गिरावट (3.8 फीसद) से...
More »दाने-दाने को मोहताज हुए दिल्ली के मजदूर
-डाउन टू अर्थ, लगभग डेढ़ माह पहले पूरे देश का ध्यान महानगरों से अपने घर गांव लौट रहे मजदूरों की ओर था। डाउन टू अर्थ ने तब इन मजदूरों के साथ पैदल सफर किया, लेकिन समय के साथ इन मजदूरों को फिर से भुला दिया गया है। लॉकडाउन खुल चुका है। ऐसे में जो मजदूर अपने गांव नहीं जा पाए या जो गांव में काम न मिलने पर फिर से महानगर...
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