हाल की मीडिया रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को लगभग रु. 6,300 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, जिनमें झांसी में टैंक रोधी मिसाइलों के प्रणोदन प्रणाली के लिए 400 करोड़ रुपये का संयंत्र भी शामिल है. 18 नवंबर, 2021 को झांसी नोड (उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे से संबंधित) में पहली परियोजना के लिए नींव...
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गोवा से महाराष्ट्र तक, ‘नॉन-ट्रांसमिसेबल’ बीमारियों के बोझ के बारे में क्या कहती हैं कोविड मौतें
-द प्रिंट, भारत में कोविड-19 का पहला केस जनवरी 2020 में केरल से सामने आया था. दो साल बाद अनुमान के मुताबिक़ महामारी में राज्य के हर 1 हजार लोगों में से एक की मौत हुई. और ये सिर्फ केरल की बात नहीं है. क्राउडसोर्सिंग प्लेटफॉर्म कोविड19भारत (जो राज्यवार स्वास्थ्य बुलेटिन्स से आंकड़े इकट्ठा करता है) के मुताबिक, कम से कम ऐसे चार राज्य और केंद्र-शासित क्षेत्र और हैं- गोवा, महाराष्ट्र,...
More »कोविड-19 की तीसरी लहरः कैसी है झारखंड की तैयारी, क्या है गांवों का हाल
-डाउन टू अर्थ, जर्मनी में रहनेवाली एक महिला के परिजन देवघर में रहते हैं। उनके पिता बीते 6 जनवरी को कोविड पॉजिटिव पाए गए उन्हें हार्ट से संबंधित बीमारी भी थी। स्थानीय डॉक्टर ने कहा कि आप रांची में किसी आइसोलेशऩ सेंटर में चले जाइए, ताकि जरूरत होने पर बेहतर इलाज मिल सके। लेकिन उन्हें इस सुविधा की जानकारी नहीं मिल सकी। हालांकि रांची के डोरंडा में आइसोलेशन सेंटर सेंटर है। इसके...
More »रिकवरी बढ़ने से चीनी मिलों को सालाना 3000 करोड़ अतिरिक्त फायदा हुआ, जबकि किसानों के लिए गन्ने का एसएपी था फ्रीज
-रूरल वॉइस, उत्तर प्रदेश में 2018-19 से 2020-21 तक तीन पेराई सत्र में चीनी मिलों को गन्ने में एक से दो फीसदी अतिरिक्त रिकवरी से हजारों करोड़ रुपये का फायदा मिला है। एक सीजन में एक फीसदी अतिरिक्त रिकवरी से ही चीनी मिलों का अतिरिक्त फायदा 3,000 करोड़ रुपये बनता है। इन तीन वर्षों में मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी)...
More »मिलेट से होगा बच्चों का बेहतर विकास, कई लाइफस्टाइल बीमारियां रोकने में भी यह सक्षम
-रूरल वॉइस, मिलेट बच्चों और किशोरों के लिए नया स्मार्ट फूड बन सकता है। एक अध्ययन में पता चला है कि बच्चों और किशोरों के नियमित भोजन में चावल की जगह अगर मिलेट का इस्तेमाल किया जाए तो उनका विकास 26 से 39 फ़ीसदी ज्यादा होता है। इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि मिलेट (ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो जैसे मोटे अनाज) कुपोषण को दूर करने में भी काफी मददगार हो...
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