-न्यूजलॉन्ड्री, बात मनरेगा के बहाने सामाजिक सुरक्षा की, आखिर क्यों पूरी दुनिया में धुर पूंजीवाद की वकालत करने वाले शासक भी संकट के समय साम्यवादी हो जाते हैं. 20 लाख करोड़ के विशेष पैकेज के तहत एक बड़ा हिस्सा (40,000 करोड़ रुपए) वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने मनरेगा योजना में खर्च करने की घोषणा की है. यह हिस्सा केद्रीय बजट में घोषित मनरेगा फंड के अतिरिक्त होगा. खुद को बड़े गर्व से सोशली...
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रंजन गोगोई इंटरव्यू: फैसले के बदले मुझे कुछ लेना ही होता तो महज....
-इंडिया टूडे, देश के प्रधान न्यायाधीश के पद से रिटायर होने के महज चार महीने बाद ही राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत राज्यसभा सदस्यता की 19 मार्च को शपथ लेकर रंजन गोगोई ने अच्छा-खासा विवाद खड़ा कर दिया. विपक्षी नेताओं और कई न्यायविदों ने नैतिकता का सवाल उठाकर आरोप लगाया कि यह पद पर रहते हुए मोदी सरकार के पक्ष में दिए गए कई फैसलों के बदले गोगोई को सीधे-सीधे पुरस्कृत...
More »लॉकडाउन के बाद पटना के शहरी गरीबों की स्थिति पर रिपोर्ट साझा करने तथा स्लमों में राहत कार्य करने लिए इजाजत देने और सहयोग करने के संबंध में
-भोजन का अधिकार अभियान बिहार, सेवा में, माननीय मुख्यमंत्री, बिहार सरकार, पटना, बिहार विषय : लॉकडाउन के बाद पटना के शहरी गरीबों की स्थिति पर रिपोर्ट साझा करने तथा स्लमों में राहत कार्य करने लिए इजाजत देने और सहयोग करने के संबंध में। महाशय, देश और राज्यों में COVID-19 के खतरे को देखते हुये सरकार द्वारा लॉकडाउन का ऐलान किया गया...
More »भारत और इंडिया: 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान से जो तसवीर उभरी वह देश की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाती है
-आउटलुक, “बिना व्यापक योजना के महज चार घंटे की मोहलत पर 21 दिनों के लॉकडाउन के ऐलान से जो तसवीर उभरी वह देश की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाती है” यह मानवीय त्रासदी है, जो हमारे प्रशासकों ने देश के गरीब तबके पर थोप दी है। सरकार ने कोरोनावायरस से फैलने वाली बीमारी कोविड-19 की रोकथाम के लिए देश भर में 24 मार्च की आधी रात से 21 दिन का लॉकडाउन किया। उसके...
More »कोविड-19 के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है सेल थेरेपी ट्रीटमेंट
-डाउन टू अर्थ, सेल थेरेपी पर आधारित यह उपचार कोरोनावायरस के उन रोगियों के लिए लाभदायक हो सकता है जो सांस सम्बन्धी गंभीर समस्याओं को झेल रहे हैं। यह क्लीनिकल ट्रायल प्रोफेसर डैनी मैकॉली और प्रोफेसर सेसिलिया ओ'केन के नेतृत्व में किया गया है। जोकि क्वींस यूनिवर्सिटी के वेलकम-वोल्फसन इंस्टीट्यूट फॉर एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में शोधकर्ता हैं। इस क्लीनिकल ट्रायल में शोधकर्ता कोविड-19 के कारण मरीजों में होने वाली एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम...
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