SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1424

क्या विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के जीवन में अपनी निर्धारित भूमिका निभाने में विफल हो रहे हैं

-द वायर, शाम का समय है. आदतन मोबाइल उठाकर इंटरनेट डाटा ‘ऑन’ करता हूं. ‘वॉट्सऐप’ के ‘स्टेटस’ देखता हूं. ‘वॉट्सऐप स्टेटस’ को मैं यूं ही देखकर छोड़ देने वाली चीज़ नहीं मान पाता. मुझे हमेशा लगता है कि विद्यार्थियों और नौजवानों के प्रसंग में तो उसकी कभी भी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए. इस बात को तो कोई मनोवैज्ञानिक शोध ही स्पष्ट कर सकता है कि वह कौन-सी प्रक्रिया है, जिसके कारण...

More »

जब कार्टूनिस्ट देश के लिए ख़तरा बन जाए

-न्यूजलॉन्ड्री, एक कार्टून बनाया गया. कार्टून बन गया. जो कार्टून बना, उसे हंसना आता तो है, पर दूसरों पर. बुरा लग गया. रायता इसके बाद फैला. किसे अंदाज़ा होगा कि कार्टूनिस्ट से कुपित होने वाला ये पूरा प्रसंग देश के हालात और उसके वक़्त का एक हलफिया बयान बन जाएगा. लोगों के वोटों से बनी सरकार उन लोकतांत्रिक मूल्यों की ऐसी-तैसी करने में लगी है, जहां असहमति, आलोचना और अभिव्यक्ति की...

More »

भारत समेत दुनियाभर के बेहतरीन दिमाग यह पता लगाने में जुटे कि कोरोनावायरस आखिर आया कहां से

-द प्रिंट, हम कोविड महामारी में वर्तमान स्थिति की व्याख्या कैसे करते हैं? बात को कुछ इस तरह रखें. अगर आप टीवी पर क्रिकेट मैच देखते होंगे तो आपने एक परफ्यूम का वह विज्ञापन भी देखा होगा जिसमें एक तूफान में एक नौजवान की कमीज उड़ जाती है और उसका गठीला बदन दिखने लगता है, एक लड़की उसके बदन पर भरपूर नज़र डालते हुए कहती है, ‘आपके कपड़े तो गए, लेकिन खुशबू...

More »

काम जारी है

-कारवां,  फुर्सत के नायाब पल में पांच दिसंबर 1956 की रात भीमराव आंबेडकर दिल्ली के अलीपुर रोड स्थित अपने किराए के मकान में रेडियोग्राम पर बज रही बौद्ध प्रार्थना को सस्वर दोहरा रहे थे, “बुद्धम शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि, संघम शरम् गच्छामि” कि तभी उनका रसोइया डिनर के लिए आने को कह कर उनका ध्यान-भंग करता है. उन्हें थोड़ा-सा चावल खाने के लिए बहुत मान-मनौव्वल करना पड़ता था. डाइनिंग टेबल तक...

More »

विश्व पर्यावरण दिवस 2021: महामारी में पर्यावरण की फिक्र

-डाउन टू अर्थ, महामारी के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के बारे में सोचना भी मुश्किल है। अपार मानवीय पीड़ा और हानि के इस समय में पर्यावरण की आखिर क्या बिसात है? लेकिन आइए इस विषय में सोचने के लिए हम थोड़ा समय निकालें। पिछले एक महीने में हमें जिस चीज की कमी सर्वाधिक खली वह था ऑक्सीजन। आइए हम उन दिनों एवं घंटों के बारे में सोचें जो हमने अपने...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close