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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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भूख से मौत में सुप्रीमकोर्ट प्रतिनिधि दल पहुंचा उड़ीसा

भुवनेश्वर। बलांगीर जिले में भूख से हुई मौत मामले की जांच के लिए सुप्रीमकोर्ट द्वारा नियुक्त 3 सदस्यीय कमेटी उड़ीसा दौरे पर पहुंच गयी है। यह कमेटी 22 तारीख तक यहां रहकर बलांगीर, केन्दुझर जिले का दौरा कर परिस्थिति के बारे में जानकारी हासिल करेगी। यह कमेटी मुख्य रूप से खाद्य सुरक्षा तथा सामाजिक योजना कार्य की जांच करेगी। एवं राज्य सरकार के साथ चर्चा भी करेगी। सुप्रीमकोर्ट के कमिश्नर...

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भूख से हुई एक की मौत

उदयपुर. कोटड़ा के झेर गांव में एक साल में हुई भूख से मौतों के मामले में प्रशासन ने मान लिया है कि एक जने की भूख से मौत हुई है। बाकी सभी मौतें बीमारी व अन्य कारणों से हुई थी। कलेक्ट्री परिसर में रविवार को सांसद किरोड़ीलाल मीणा के सवालों में प्रशासनिक अधिकारी उलझ गए। इस दौरान जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेंद्रसिंह शेखावत ने बताया कि झेर में एक...

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मौत भूख से नहीं, बीमारी से

चित्ताौड़गढ़ जिला प्रशासन द्वारा चंपाखेड़ी तहसील भदेसर के निवासी किशन सिंह की मौत के बारे में कराई गई जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि किशन सिंह की मौत भूख से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य खराब होने के कारण हुई है। चित्ताौड़गढ़ जिला कलक्टर स्वयं भी किशन सिंह के घर गए और उनके परिवारजनों से संपर्क किया। जिसमें ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया कि स्व. किशन सिंह का परिवार भूख से पीडि़त है। इससे पहले...

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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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