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ज्यादातर गरीबों के पास अपने घर, अमीर रहते किराये के मकानों में

अगर आप घर को संपन्नता का प्रतीक मानते हैं, तो अपनी सोच बदलें। हमारे देश में अमीरों की तुलना में ज्यादा संख्या में गरीब अपने मकानों में रहते हैं। जबकि संपन्न वर्ग का एक बड़ा हिस्सा किराये के मकान में रहता है। पीपुल रिसर्च ऑन इंडियन कंज्यूमर इकोनॉमी के राष्ट्रीय सर्वे में यह दावा किया गया है। हालांकि भारत के उलट विकसित देशों में ज्यादा पैसे वाले लोग अपने घरों में...

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कालेधन पर मोदी का बम-- अनुपम त्रिवेदी

कालेधन पर किये गये वादों को लेकर किरकिरी झेल रही मोदी सरकार ने 8-9 नवंबर की रात ऐसी ‘सर्जिकल स्ट्राइक' की, कि पूरा देश हतप्रभ रह गया. एक झटके में सरकार ने कालेधन, भ्रष्टाचार, जाली नोट और आतंकवाद को जबरदस्त चोट पहुंचायी. सरकार के इस कदम की हर ओर तारीफ हो रही है. हालांकि विरोध करनेवाले भी कम नहीं है. पर हतप्रभ सभी हैं. सोच रहे हैं कि सरकार...

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सहायता योजनाओं की जानकारी से दूर छोट-मंझोले उद्योग - नई रिपोर्ट

‘मछरी जल बीच मरत पियासी' ! इस उलटबांसी का अर्थ समझना हो तो गरीबी और बेरोजगारी दूर करने के लिहाज से महत्वूर्ण माने जाने वाले सूक्ष्म, छोटे और मंझोले उद्यमों की हालत पर गौर कीजिए!   हाल की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि छोटे, मंझोले और सूक्ष्म उद्यमों के विकास-विस्तार और सुधार के लिए सरकार ने 200 से ज्यादा सहायता योजनाएं चला रखी हैं लेकिन सूक्ष्म, छोटे, और मंझोले आकार के उद्यम (एमएसएमई) इनका...

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#RaghuramRajan: मिडल क्लास का 'गुड मैन' जो राजनीति से नहीं बच पाया

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में बतौर गर्वनर तीन साल तक कार्यरत रहने के बाद आज रघुराम राजन विदा हो रहे हैं। आज आरबीआई में उनका आखिरी दिन है। तीन साल का उनका ये सफर बहुत ही विवादास्पद रहा। एक ओर जहां उन्हें राजनीति का शिकार होने पड़ा और आलोचनाएं झेलनी पड़ी। वहीं दूसरी ओर आर्थिक विशेषज्ञों ने उनकी जमकर तारीफ की। अगर भारत के जीडीपी ग्रोथ की बात करें तो...

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फोर्ड कंपनी ने ऐसे बदली दुनिया, श्रमिकों की भी, हमारी भी

मल्‍टीमीडिया डेस्‍क। फोर्ड मोटर कंपनी, 1903 में 12 निवेशकों की मदद से 28,000 डॉलर का निवेश करके एक परिवर्तित कारखाना के रूप में लॉन्च हुई थी। फोर्ड पहली कंपनी थी, जिसने ऑटोमोबाइल का निर्माण व विकास किया था। यह कंपनी मध्यम वर्ग के लोगों के लिए वाहन बनाती थी। 21वीं सदी की शुरूआत में वित्तीय संकट के दौरान यह कंपनी दिवालिया होने की कगार तक पहुंच गई थी, परंतु उसके बाद...

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