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'बच्चे पैदा करने में नंबर वन बन गया है राजस्थान'

जोधपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि बच्चे पैदा करने में राजस्थान नंबर वन बन गया है। देश की करीब साढ़े पांच प्रतिशत आबादी राजस्थान में बसती है। इसलिए प्रदेशवासी दो बच्चों के बाद फुल स्टॉप लगाएं, ताकि बच्चों की परवरिश अच्छे से हो सके। उन्होंने चेताया कि अगर ऐसा नहीं होगा तो भविष्य में तकलीफ ही तकलीफ होगी। वे रविवार को मंडोर रोड स्थित विशेष पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग के...

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आइना-ए-योजना आयोग-4: लगता ही नहीं कि मेवात हरियाणा में

नई दिल्ली. चौतरफा आर्थिक विकास की बयार मिलेनियम सिटी गुड़गांव और फरीदाबाद की सीमाओं से सटे होने के बावजूद मेवात तक नहीं पहुंच सकी है। मेवात के हालात से केंद्रीय योजना आयोग खासा चिंतित है। उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर आयोग ने राज्य सरकार को बताया है कि मेवात आज भी शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता व उपयोगिता के मामले में प्रदेश का सर्वाधिक पिछड़ा क्षेत्र है। आयोग के...

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19 करोड़ की आबादी के लिए नहीं मिल रहे 27 लोग

नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। देश में अल्पसंख्यकों की आबादी करीब 19 करोड़ है। इस वर्ग से संबंधित सरकारी कामकाज के लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय में 93 पद स्वीकृत हैं लेकिन इतने अधिकारी व कर्मचारी भी केंद्र सरकार को मिल नहीं पा रहे हैं। इनमें से 27 पद अब भी खाली पड़े हैं। अल्पसंख्यकों, खास तौर से मुसलमानों की तालीम, तरक्की, सामाजिक व आर्थिक स्थिति पर खास फोकस...

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‘मेरे पास कोई बटन नहीं है जिसे दबाकर चीजें तुरंत बदल दूं’- नीतीश कुमार

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन लगता नहीं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस चुनौती की ज्यादा फिक्र है. विजय सिम्हा से बातचीत में नीतीश बता रहे हैं कि उनकी सरकार तीन सबसे प्रमुख मुद्दों- निवेश, शिक्षा और भूख पर कैसे आगे बढ़ने वाली है और क्यों उन्हें इस मामले में केंद्र से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है. (तहलका हिन्दी से साभार) बिहार में भूख अभी भी एक समस्या है, लेकिन इसे...

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बेरोजगारी निगल गई 350 बरस पुराना गांव

शामली [मुजफ्फरनगर, राजपाल पारवा], मैं हूं गांव कोठड़ा..। एक समय मेरी आबादी 500 के करीब थी। रोजगार के अभाव में दो साल पूर्व मेरा अस्तित्व समाप्त हो गया। शेष रह गया तो सिर्फ 350 वर्षो का इतिहास। ..लेकिन आज भी मेरे बरगद की शीतल छांव में मुसाफिर अपनी थकान मिटाते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पीर आज भी मेरे वजूद का गवाह है। अगर नहीं हैं तो यहां के बाशिंदे। मेरठ-करनाल...

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