-सत्याग्रह, किस्सा 1987 का है. पीटर राइट की आत्मकथा ‘स्पाइकैचर: द कैंडिड ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर’ ने छपते ही धूम मचा दी थी. राइट ब्रिटेन की खुफिया सेवा एमआई5 के पूर्व सहायक निदेशक थे. ऑस्ट्रेलिया में छपी उनकी इस आत्मकथा में स्वेज संकट के समय एमआई5 द्वारा मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्दुल नासिर की हत्या की साजिश जैसे कई सनसनीखेज दावे किए गए थे. स्वाभाविक ही था कि इंग्लैंड...
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कमंडल से मंदिर के बीच क्यों दम तोड़ गई मंडलवादी सियासत
-न्यूजलॉन्ड्री, आज प्रधानमंत्री अयोध्या में राम मंदिर का फिर से शिलान्यास करेंगे, जहां पहले बाबरी मस्जिद थी. यह वह मस्जिद थी जिसके चलते लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया गया था. यह वह मस्जिद थी जिसके कारण वीपी सिंह की सरकार चली गयी थी. यही वह मस्जिद थी जिस पर संघ व भाजपा ने अपना दावा पेश करते हुए जब कारसेवा करने की बात की थी, तब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री...
More »अयोध्या में जन्मभूमि शिलान्यास के मायने भविष्य के भारत के लिए- नज़रिया
-बीबीसी, साल 1951 से ही इस बहस की शुरूआत हो गई थी, और अब यह बहस एक निर्णायक दौर में पहुँच गई है. गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद उसके उद्घाटन की तारीख़ रखी गई और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को बुलावा भेजा गया, तो प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू चाहते थे कि 'धार्मिक मुद्दों को राष्ट्र के मुद्दों से अलग रखा जाए' और उन्होंने राजेंद्र प्रसाद को...
More »क्यों प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई कई पूर्व जजों को भी सही नहीं लगती है
-सत्याग्रह, किस्सा 1987 का है. पीटर राइट की आत्मकथा ‘स्पाइकैचर: द कैंडिड ऑटोबायोग्राफी ऑफ अ सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर’ ने छपते ही धूम मचा दी थी. राइट ब्रिटेन की खुफिया सेवा एमआई5 के पूर्व सहायक निदेशक थे. ऑस्ट्रेलिया में छपी उनकी इस आत्मकथा में स्वेज संकट के समय एमआई5 द्वारा मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्दुल नासिर की हत्या की साजिश जैसे कई सनसनीखेज दावे किए गए थे. स्वाभाविक ही था कि इंग्लैंड...
More »दिल्ली दंगा: क्या दिल्ली पुलिस जांच को 'विशेष दिशा’ में ले जाना चाहती है?
-आउटलुक, चीन के विपरीत भारत की सफल सरकारें बहुत कुछ पाने में सफल रही हैं। 1984 के दिल्ली दंगों और गुजरात में 2002 की सामूहिक जनसंहार से लेकर समय-समय पर सांप्रदायिक हिंसा और जम्मू-कश्मीर में दमन जैसी घटनाएं हुई। फिर भी भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा कटघरे में खड़ा होने से बच गया क्योंकि इसे लोकतंत्र के रूप में देखा जाता है। इन सभी मामलों में यह माना गया कि कानून का शासन...
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