डाउन टू अर्थ, 13 सितम्बर 2022 में जल, जमीन, जंगल और पर्यावरण को बचाने की जद्दोजेहद में 177 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। मतलब की हर दूसरे दिन दुनिया के किसी न किसी हिस्से में कोई न कोई कार्यकर्ता, पर्यावरण को बचाने के लिए अपने जीवन की आहुति दे रहा है। 2012 से देखें तो अब तक 1910 लोगों की हत्या हो चुकी है। वहीं 2022 के दौरान एशिया में...
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भारत में सिर्फ नौनिहाल ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा है कुपोषण
डाउन टू अर्थ, 25 अगस्त भारत में कुपोषण सिर्फ बच्चों को ही नहीं बुजुर्गों को भी प्रभावित कर रहा, जो उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। इस बारे में इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पापुलेशन साइंसेज से जुड़े शोधकर्ताओं द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के करीब 28 फीसदी पुरुषों और 25 फीसदी महिलाओं का वजन सामान्य से कम है। वहीं इसी आयु...
More »कटी हुई अँगुलियाँ और चमचमाती कारें
क्या आप जानते हैं कि आपकी कार बनाते समय कितने लोगों की अँगुलियाँ कट गई थी ? आपने जिस भी कंपनी से कार खरीदी है, क्या वहाँ सुरक्षा मानकों की पालना की जा रही थी ? मजदूरों की सुरक्षा के लिए कौनसे कदम उठाएँ गए हैं ? क्या वो पर्याप्त हैं ? इसी तरह के सवाल का ज़वाब तलाशती है– ‘सेफ इन इंडिया’ की रिपोर्ट – सेफ्टी–नीति 2023 और CRUSHED 2022. ऑटो–मोबाइल क्षेत्र,...
More »संदिग्ध है नैनो यूरिया का प्रभाव, इफको पर झूठा दावा करने का आरोप : शोध
डाउन टू अर्थ, 23 अगस्त देश की सबसे बड़ी खाद निर्माता कंपनी इंडियन फॉर्मर्स फर्टिलाइजर को-ऑपरेटिव (इफको) ने नोवेल नाइट्रोजन फर्टिलाइजर नैनो तरल यूरिया लांच करते हुए यह प्रचार किया था कि यह पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। हालांकि एक हालिया ओपिनियन पेपर ने इसकी वैज्ञानिक प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हुए अपने निष्कर्ष में कहा है नैनो यूरिया में शायद ही कोई विशेषता हो जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध...
More »पीएम जन आरोग्य योजना के तहत ‘मृत’ मरीज़ों के इलाज के लिए 6.9 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ: कैग
द वायर , 17 अगस्त आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के ऑडिट में अनियमितताओं को चिह्नित करते हुए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि इसके तहत 3,446 मरीजों के इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिन्हें डेटाबेस में पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था. 2018 में शुरू की गई यह योजना स्वास्थ्य देखभाल की मांग करने वाली गरीब और कमजोर...
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