आज हम 'विश्व बाघ दिवस" दिवस मना रहे हैं, जिसका मकसद जंगली बाघों के आवास के संरक्षण और विस्तार को बढ़ावा देने के साथ-साथ बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। अच्छी बात है कि बाघ-संरक्षण के प्रयासों का असर भी दिख रहा है। एक-दो माह पूर्व ही यह खबर आई थी कि पिछले पांच साल में दुनियाभर में बाघों की संख्या 3200 से बढ़कर 3980 तक पहुंच चुकी है।...
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बहुत दूर दिखती है मंजिल, सतत विकास सूचकांक में भारत 110वें स्थान पर
सतत विकास वैश्विक सामाजिक प्रगति रिपोर्ट में भारत के 98वें स्थान (133 देशों में) पर होने की निराशाजनक खबर के बाद अब चिंताजनक सूचना यह आयी है कि सतत विकास सूचकांक में हमारा देश 110वें (149 देशों में) पायदान पर खड़ा है. वर्ष 2030 तक गरीबी, भूख, अशिक्षा से मुक्ति के साथ बेहतर पर्यावरण का वैश्विक लक्ष्य पाने के हमारे प्रयासों पर यह एक गंभीर टिप्पणी है. इस रिपोर्ट की मुख्य...
More »हिमालय का बिगड़ता मिजाज--- ममता सिंह
हिमालय की अनदेखी शुरू से ही हो रही है। बार-बार केंद्र पर निर्भर हिमालयी राज्यों का तंत्र हिमालय की गंभीरता और हिमालय से चल सकने वाली स्थायी जीवन शैली और जीविका को भी भुलाते जा रहे हैं। आयातित परियोजनाओं ने हिमालय में अतिक्रमण, प्रदूषण और आपदा की स्थिति पैदा कर दी है जिसके फलस्वरूप हिमालय टूट रहा है। हिमालय न केवल भारत, बल्कि दक्षिण एशिया के सभी देशों के लिए जल...
More »पशुप्रेम पर साझा सोच जरूरी-- पवन के वर्मा
हाल में पशुओं की संख्या कम करने के लिए उन्हें मारे जाने के सवाल पर मैं एक टीवी चैनल के पैनल डिस्कशन में शामिल था. पशुओं के हक के लिए मुखर रहनेवाली मेनका गांधी ने पशुओं को मारने की छूट देने को लेकर कैबिनेट साथी पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पर सार्वजनिक तौर पर सवाल उठाया था. जावेड़कर ने कुछ राज्य सरकारों को ऐसे पशुओं को एक खास समयावधि तक मारने की...
More »सेहत की कीमत पर विकते खाद्य-- निरंकार सिंह
पिछले दिनों मैगी विवाद ने खाने-पीने की चीजों में मिलावट के मामले को चर्चा का विषय बना दिया था। ताजा मामला डबल रोटी में खतरनाक रसायनों के मिलाने का है। बहुत सारे घरों में सुबह नाश्ते के समय खाई जाने वाली बे्रड और बेकरी के उत्पादों में कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है। सेंटर फार साइंस एंड इनवार्नमेंट (सीएसई) ने बे्रड, पाव, बन, बर्गर बे्रड और...
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