दिल्ली हाई कोर्ट ने निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिले के लिए केजरीवाल सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देश पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार का नोटिफिकेशन पेरेंट्स से उनके अपनी पसंद के स्कूल मे दाखिला का अधिकारों छीन रहा था, लिहाजा इसे रद्द किया जाता है। हाई कोर्ट ने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर सरकार प्राइवेट स्कूलों के साथ मनमानी नहीं कर सकती...
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राजतंत्र से जनतंत्र तक-- संदीप मानुधने
जब अंगरेज भारत छोड़ कर गये, उन्होंने वे सभी प्रयास प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से किये, जिससे उपमहाद्वीप में सदा के लिए दरारें पड़ी रहें. अंगरेजों की दिली तमन्ना थी कि भारत टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा, क्योंकि इसे एक करनेवाला कोई है ही नहीं. लेकिन, उनके मंसूबों पर भारत के नेताओं ने पानी फेर दिया. सरदार पटेल ने पूरे देश को एक सूत्र में बांध दिया, पंडित नेहरू ने एक लोकतांत्रिक...
More »अल्पसंख्यक स्कूलों ने दी दिल्ली सरकार की नर्सरी दाखिला नीति को चुनौती
सरकारी जमीन पर बने अल्पसंख्यक स्कूलों को भी केजरीवाल सरकार की ओर से नर्सरी कक्षा में दाखिले के लिए जारी दिशा-निर्देश नहीं भाया। अल्पसंख्यक स्कूलों ने भी दाखिले के लिए जारी इस दिशा-निर्देश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। जस्टिस मनमोहन ने इस मामले में केजरीवाल सरकार को नोटिस जारी कर 19 जनवरी तक जवाब देने को कहा है। हालांकि उन्होंने अल्पसंख्यक स्कूलों की...
More »शिक्षा की मुहिम में नजरंदाज हो जाते हैं दिव्यांग बच्चे-- अलका आर्य
हाल ही में संसद द्वारा दिव्यांगों (विकलांगों) के अधिकारों से जुडे़ जिस विधेयक को पारित किया गया है, उसमें दिव्यांग बच्चों के लिए कुछ खास प्रावधान हैं। अब दिव्यांग बच्चों को छह से 18 साल तक नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराई जाएगी, जबकि मौजूदा प्रावधान में यह आयु सीमा छह से 14 वर्ष है, जो शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सभी वर्ग के बच्चों पर लागू होती है। दिव्यांग बच्चों...
More »भ्रष्टाचार से लाचार लोकतंत्र!-- चंदन श्रीवास्तव
भ्रष्टाचार की बातें तो बहुत हैं, लेकिन शिकायतें बड़ी ही कम हैं! अब इस उलटबांसी की व्याख्या कैसे हो? क्या हम यह मान लें कि चलो फिर से इस नियम की पुष्टी हुई कि भारत विरोधाभासों का देश है? सार्वजनिक जीवन में नजर आनेवाला विरोधाभास दोहरा अर्थ-संकेत होता है. उसका एक इंगित है कि हमारा तंत्र पाखंड से भरा है और दूसरा इंगित कि अन्याय आठो पहर आंखों...
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