नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश में हर तरफ महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया से कहा कि देश में यौन उत्पीड़न की घटना की पीड़ितों की तस्वीरें किसी भी रूप में प्रकाशित या प्रदर्शित नहीं की जाये. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा...
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अब भी कम नहीं आर्थिक चुनौतियां - सुषमा रामचंद्रन
कई बार हमें जैसा दिखता है, वैसा होता नहीं। फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में भी यह बात सच लगती है। हां, यह सही है कि अर्थव्यवस्था को लेकर खुशी का माहौल है और शेयर बाजार सूचकांक नई बुलंदियों को छू रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि आगामी वर्ष के लिए देश का आर्थिक परिदृश्य उतना सुहावना नजर नहीं आता। हां, ऑटोमोबाइल्स और उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में उछाल...
More »भूख से मरी बच्चियों की याद में--- शशिशेखर
शिखा, मानसी और पारुल के नाम आजाद भारत का इतिहास यकीनन अपने पन्नों में दर्ज नहीं करेगा। उसे सिर्फ नायकों, खलनायकों और विदूषकों का लेखा-जोखा रखने की बुरी आदत है। आप सोच रहे होंगे कि रविवार की सुबह मैं किन लोगों की राम कहानी लेकर बैठ गया। बता दूं, दिल्ली के मंडावली इलाके में ये तीन बच्चियां इस बीतते हफ्ते की शुरुआत में अचानक दम तोड़ गईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता...
More »आदिवासी अधिकार के नाम पर- शशिशेखर
जिस समय कश्मीर का अलगाववाद पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है, ठीक उसी समय झारखंड के कुरूंगा गांव में एक दूसरा दृश्य दिख रहा है। वहां एक शिलालेख पर लिखा है- ‘भारत में गैर आदिवासी दिकु, विदेशी केंद्र सरकार को शासन चलाने और रहने का लीज एग्रीमेंट 1969 ई. में ही समाप्त हो गया है।' ‘वोटर कार्ड (मतदान पहचान पत्र) और आधार कार्ड (आम आदमी का अधिकार कार्ड) आदिवासी...
More »क्या न्यायपालिका ही अंतिम आसरा है-- शशिशेखर
गुजरे हफ्ते जब सुप्रीम कोर्ट हुक्मरानों को लताड़ रहा था- आप भीड़ को इंसाफ करने का हक नहीं दे सकते, भीड़ की हिंसा रोकने के लिए कानून बनाइए और ऐसे मामलों से सख्ती से निपटिए, तो माननीय न्यायमूर्तिगण को मालूम न था कि सैकड़ों किलोमीटर दूर एक गुमनाम से शहर पाकुड़ में दूसरी पटकथा रची जा रही है। कुछ घंटे बाद हमने टीवी के परदे पर 78 साल के...
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