नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और एक कुशल प्रशासक की उनकी छवि के बल पर भाजपा ने पिछले वर्ष आम चुनाव में अप्रत्याशित रूप से अकेले बहुमत हासिल किया था। अब जब मोदी सरकार अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा करने वाली है, तब उसके कामकाज को कसौटी पर परखा जाना स्वाभाविक है। मोदी सरकार के बारे में एक बात बिना किसी संदेह के कही जा सकती है कि उसने निराशा...
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राजनीतिक चंदे में गोरखधंधे को रोकें - ए. सूर्यप्रकाश
कई साल पहले सजग नागरिकों ने बाहुबल और धनबल के रूप में उन दो दुष्टों की पहचान की थी, जो हमारे लोकतंत्र को कलंकित कर रहे हैं। निर्वाचन आयोग की लगातार कोशिशों, सुरक्षा बलों की बड़े स्तर पर तैनाती और लंबी चलने वाली चुनाव प्रक्रिया को बधाई देनी चाहिए जिनसे पहले दुष्ट यानी बाहुबल पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। लेकिन धनबल की समस्या अभी तक चुनावी...
More »समझना होगा सफाई का फलसफा - गोपालकृष्ण गांधी
मैं हमारे प्रधानमंत्री की 'स्वच्छ भारत" योजना का हृदयज समर्थक हूं, उसका स्वागत करता हूं। पिछले 15 अगस्त के लाल किले के भाषण में उन्होंने सफाई पर जो जोर दिया, वह मुझे बहुत अच्छा लगा। पहले कभी-कभार सफाई के बारे में उच्च नेता कुछ कहते थे, लेकिन सफाई का विषय? वह एनजीओ के लायक माना जाता था, नगरपालिकाओं के स्तर का। सड़कों पर, गलियों-कूचों पर, गांव और शहरों में सफाई...
More »विकास की जिम्मेदारी राज्यों की- एम के वेणु
राजग सरकार ने 'सहकारी संघवाद' की अपनी धारणा के तहत, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेहद प्रिय है, केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय बंटवारे के पैटर्न को बुनियादी तौर पर बदलना चाहा है। उदाहरण के तौर पर, वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश बजट में स्वास्थ्य, बाल विकास, शिक्षा, ग्रामीण पेयजल, आवास जैसे महत्वपूर्ण विकास कार्यक्रमों के मद में दी जाने वाली केंद्रीय सहायता में करीब 75,000 करोड़ रुपये...
More »फिर से भारत उदय- सुनील भारती मित्तल
भारत में उम्मीद की एक ताजा हवा बह रही है। नई सरकार, जिसे देश ने निर्णायक जनादेश दिया, तेजी से देश के विकास एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। पिछले बारह महीनों में घटनाक्रम में जो बदलाव आया है, उसने राष्ट्रीय मानस का निर्माण किया है। जो वैश्विक निवेशक पहले भारत के बारे में सवाल उठा रहे थे, वे अब देश में विकास संभावनाओं में सुधार की बातें कर रहे...
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