-डाउन टू अर्थ, एक शोध से पता चला है कि स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) से साल भर में हर घर को करीब 53,536 रुपए (727 डॉलर) का फायदा हुआ। जर्नल वर्ल्ड डेवलपमेंट में छपे इस अध्ययन के अनुसार यदि इस मिशन से हुए फायदे को देखें तो, 10 वर्षों के दौरान इस परियोजना पर जितना खर्च किया गया है वो उससे 4.3 गुना ज्यादा है। शोध के अनुसार जहां इस मिशन के...
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#WorldMentalHealthDay: पैसेवाले भी नहीं उठा पा रहे हैं इलाज का खर्च, ग़रीब क्या करेंगे?
-बीबीसी, ''मैंने अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल रखने की कोशिश में अब तक 1,61,800 रुपये खर्च किए हैं.'' "मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है और बहुत महँगा भी. क्यों? क्योंकि भारत की स्वास्थ्य सुविधाएँ घटिया हैं." एक मीडिया संस्थान में काम करने वाली कर्णिका कोहली ने ये ट्वीट इस साल 21 जुलाई को किए थे. देश की राजधानी दिल्ली में रहने वाली कर्णिका अच्छी-ख़ासी नौकरी करती हैं और उनकी ठीकठाक आमदनी है....
More »SOFI 2020 रिपोर्ट: अन्य दक्षिण एशियाई देशों के मुकाबले भारत की खाद्य और पोषण सुरक्षा कमजोर
30 अगस्त, 2020 को दिए गए अपने मन की बात भाषण में, प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सितंबर 2020 का महीना पूरे राष्ट्र में पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा. अपनी मन की बात में राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बच्चों के पोषण के लिए माँ को उचित और पर्याप्त पोषण मिलना चाहिए. इस संदर्भ में, खाद्य और पोषण...
More »कृषि विधेयक: क्या हैं प्रावधान, क्यों हो रहा विरोध
-बीबीसी, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में कृषि से जुड़े विधेयकों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. तीनों बिल लोकसभा में पारित हो चुके हैं. किसान इनका विरोध कर रहे हैं, विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है, लेकिन सरकार इन्हें किसानों के हित वाला बता रही है. पहले समझते हैं कि इन तीनों विधेयकों के मुख्य प्रावधान क्या हैं. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण)...
More »एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे
एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...
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