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‘पोस्ट कोरोना वर्ल्ड’ की मार्च-अप्रैल कालीन परिकल्पनाओं का जुलाई आते-आते शीराज़ा बिखरने लगा है

-लोकवाणी, बीते मार्च महीने में, जब कोरोना संकट दुनिया के लगभग तमाम देशों को अपनी चपेट में ले चुका था, एक बहस चलनी शुरू हुई थी कि ‘पोस्ट कोविड-19 वर्ल्ड’ का स्वरूप कैसा होगा। हालांकि, अब जब…जुलाई आधा बीतते दुनिया के कई देशों में संकट इतना गहरा चुका है कि भविष्य की रूपरेखा धुंधली लगने लगी है, वर्त्तमान से जूझने में ही इतनी ऊर्जा का व्यय हो रहा है कि आम लोग...

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इलाज का मनमाना खर्च नहीं वसूल पाएंगे निजी अस्पताल

-इंडिया टूडे, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और इलाज के लिए निजी अस्पताल पहुंचाने वाले लोगों से मनमाना शुल्क वसूलने की प्रवृत्ति पर उत्तर प्रदेश सरकार ने लगाम कसने की कवायद की है. निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे मरीजों से अब मनमाना शुल्क नहीं वसूला जा सकेगा. यूपी की योगी सरकार में अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य, अमित मोहन प्रसाद ने एक आदेश जारी कर बकायदा हर श्रेणी के हिसाब से...

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कोविड-19 : 70 रुपए की दवा मिल रही 40 हजार में, मजबूरों को लूट रहीं सरकार और फार्मा कंपनी?

-कारवां,  जिस तेजी के साथ कोरोनावायरस महामारी देश के कोने-कोने फैलती जा रही है उसे देखते हुए कह सकते हैं कि अगले कुछ हफ्तों में भारत को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. अप्रैल और मई में नरेन्द्र मोदी सरकार की परीक्षण पर प्रतिबंधित की नीति ने महामारी को बढ़ा दिया है और जुलाई आते-आते देश के अस्पतालों को इसका सबसे बुरा प्रकोप झेलना पड़ रहा है. जून में कोरोनोवायरस...

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कोरोना के बीच सरकारी वादे और जल संकट

-वाटर पोर्टल, पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है। तीन लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, जबकि 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। चीन, इटली, यूएसए, स्पेन आदि विकसित देश कोरोना के प्रकोप से बूरी तरह प्रभावित हैं। इटली ने लगभग हार ही मान ली है। तो वहीं पाकिस्तान में भी अब कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी कोरोना...

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फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ

-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...

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