नारायणपुर (ब्यूरो)। मजदूरी कर अपना गुजारा चलाने वाली जिला मुख्यालय की 18 महिलाएं अब बेल मेटल की कलाकृतियां बनाना सीख रही हैं। वे नहीं चाहती हैं कि जीवनभर वे मजदूरी ही करें। दिन में डेढ़ से दो सौ रूपए रोजी कमाने वाली ये महिलाएं अब पांच सौ से हजार रुपए तक कमा लेंगी। राज्य शासन के उपक्रम छग हस्तशिल्प विकास बोर्ड के स्थानीय शिल्पग्राम सेवाग्राम इंटरनेशनल में कौशल विकास के तहत...
More »SEARCH RESULT
शिक्षा को नवोन्मेषी बनाने की चुनौती- गिरीश्वर मिश्र
आधुनिक भारत में विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षा का आरंभ हुए एक शताब्दी से अधिक का समय बीत चुका है। स्वतंत्रता मिलने के बाद इसे प्रोत्साहन मिला और धीरे-धीरे सरकार द्वारा विश्वविद्यालय, कॉलेज और विभिन्न प्रकार के ‘प्रोफेशनल' शिक्षा देने वाले तकनीकी, मेडिकल और प्रबंधन के संस्थान खुलते चले गए। शुरू में ब्रिटेन और बाद में अमेरिका से उधार लिए गए एक बंधे-बधाए सांचे में शिक्षा का विस्तार होता गया। उधारी...
More »दौलत के साथ ही बढ़ी गैर-बराबरी- सत्येंद्र रंजन
शायद यह अतिरंजना हो, लेकिन पश्चिमी मीडिया में थॉमस पिकेटी को नया कार्ल मार्क्स कहा गया है। ऐसा उनके प्रशंसकों ने तो संभवतः कम कहा है, लेकिन उन लोगों को उनमें मार्क्स की छाया ज्यादा नजर आई है, जो गैर-बराबरी का मुद्दा उठते ही खलबला जाते हैं। उनकी परेशानी का सबब यह है कि पिकेटी ने अपनी बहुचर्चित किताब 'कैपिटल इन ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी' में आमदनी और धन की विषमता को...
More »मगनपुर की महिलाएं सूत कात कर हुईं आत्मनिर्भर- सुरेन्द्र / सुरेश
आज ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं पुरुषों से किसी भी तरह कम नहीं हैं. वे गांव में भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सशक्त पहचान बना रही हैं. गांधी जी के सपनों के अनुरूप वे बुनकरी का काम कर रही हैं. ग्रामीण महिलाओं में हुनर की किसी तरह की कमी नहीं है. अपने इस हुनर के बदौलत सूत कात कर महिलाएं अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं. जिससे वे अपने परिवार का...
More »मीडिया चालित समाज में लोकतंत्र- विपुल मुद्गल
हमने चर्चित कारपोरेट पीआर बॉस नीरा राडिया, मीडिया की नामवर हस्तियों और राजनीति के दिग्गजों की टेलीफोन की बातचीत के लीक हुए टेपों में जो कुछ सुना है वह एक मीडिया-चालित(मीडिया-आइज्ड) राजनीति की सटीक तस्वीर पेश करता है। इस प्रकरण से पता चलता है कि किस तरह से पेशेवर संवादकर्मी (प्रोफेशनल कम्युनिकेटर्स) महत्वपूर्ण नीतियों के मामलों में जनता की समझ को गढते या परिचालित करते हैं। निसंदेह...
More »