टीबी से मरते लोग भारत समेत दुनिया में तपेदिक (टीबी) से होनेवाली मौतों में लगातार कमी आ रही है, लेकिन हमारे देश में इस बीमारी के शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है. वर्ष 2015 में एक साल पहले की तुलना में टीबी के 50 फीसदी अधिक मामले सामने आये थे. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसी हफ्ते जारी ‘ग्लोबल टीबी रिपोर्ट' से संकेत मिलता है कि टीबी...
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आंकड़ों से बाहर अलक्षित स्त्री-श्रम-- सुजाता
पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में मां के किरदार को याद करते हुए अक्सर एक चेहरा निरूपा राय जैसी मां का सामने आता है, जो विधवा है, दुखी है, लेकिन स्वाभिमानी है. पति के न रहने पर वह दिन-रात दूसरों के कपड़े सिल कर अपने बच्चों को बड़ा करती है. अचानक यह एहसास होता है कि दुनिया का सारा कारोबार पुरुष के श्रम पर चलता है और स्त्री इसमें केवल मर्द के...
More »गंगोत्री ग्लेशियर का बिगड़ता मिजाज- ममता सिंह
ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में ग्लेशियरों का पिघलना कोई अचरज की बात नहीं रह गई है। हर साल ग्लेशियरों का दायरा सिकुड़ने और समुद्र की सतह कुछ उठ जाने के आंकड़े आते रहते हैं। मगर उससे भी महत्त्वपूर्ण बात अब तक ग्लेशियरों के बचाव की दिशा में कोई महत्त्वपूर्ण कदम नहीं उठाया जाना है। मौजूदा हालात में सर्वाधिक चिंता का विषय यही है। अभी हाल के वाडिया इंस्टीट्यूट...
More »कृषि सुधार पर राज्यों की रैंकिंग से बिहार होगा बाहर-- पीयूष पांडेय
कृषि क्षेत्र सुधार के आधार पर नीति आयोग द्वारा जारी की जाने वाली राज्यों की रैंकिंग से बिहार को बाहर रखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं माना जा रहा है। रैंकिंग के लिए केंद्रीय मॉडल कानून राज्य में लागू करना और किसानों को सुविधाएं मुहैया कराना कसौटी माना गया है और इस आधार पर आयोग की नजर में तीनों राज्य खरे नहीं उतरते। आर्थिक मदद...
More »भूजल की फिक्र किसे है-- दीपक रस्तोगी
विज्ञान पत्रिका ‘नेचर जियोसाइंस' का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि सिंधु और गंगा नदी के मैदानी क्षेत्र का तकरीबन साठ फीसद भूजल प्रदूषित हो चुका है। उसका दावा है कि चार दक्षिण एशियाई देशों में फैले इस विशाल क्षेत्र का पानी न तो पीने योग्य बचा है और न ही सिंचाई योग्य। हालत यह है कि कहीं भूजल सीमा से अधिक खारा हो चुका है तो कहीं उसमें...
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