बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...
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गंदा है, पर धंधा है- विमलेश मिश्र
विमलेश मिश्र, जमशेदपुर : ये दूसरों की गंदगी साफ करते, मगर खुद नारकीय जीवन जी रहे हैं। गंदगी साफ करते-करते चर्म, टीबी व कुष्ठ जैसे असाध्य रोग इन्हें घेर लेते हैं। अनुसूचित जाति के हैं, मगर सुविधा कुछ को ही। पहले सफाई के लिए सरकार या कंपनी से नौकरी मिल जाती थी, अब ठेकेदार से मिलने वाली मजदूरी पर जीवन टिका है। संसद ने कानून बना सिर पर मैला ढोने...
More »नरेगा श्रमिकों को मिलेगा एरियर
जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। महानरेगा के श्रमिकों के लिए अच्छी खबर है। न्यूनतम मजदूरी बढ़ने के बाद एक जनवरी से किसी श्रमिक को एक सौ रुपए का भुगतान होने पर शेष राशि बतौर एरियर दिए जाने के आदेश हुए हैं। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से एक जनवरी से महानरेगा के तहत अकुशल शारीरिक श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी प्रति दिवस 119 रुपए कर दी गई है। ऐसे में...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
More »न्यायविदों ने कहा- न्यूनतम मजदूरी न देना असंवैधानिक - सत्येंद्र रंजन
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जेएस वर्मा ने बुधवार को कहा कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी न देने के सवाल पर केंद्र सरकार का रुख असंवैधानिक है। उनकी बात का समर्थन राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के निदेशक मोहन गोपाल ने भी किया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कोई कानून अगर संविधान के नीति-निर्देशक तत्वों की भावना का उल्लंघन करता है, तो वह असंवैधानिक है...
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