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कथा बीपीएल-क्लब की - ज्यां द्रेज

झारखंड के लातेहार जिले के डबलू सिंह के परिवार की दुर्दशा वर्तमान खाद्य-नीतियों की विसंगतियों को जितनी मार्मिकता से उजागर करती है उतनी शायद कोई और बात नहीं करती। जीविका के लिए मुख्य रुप से दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर आदिवासी युवक डबलू, तकरीबन दो साल पहले,  काम करते वक्त छत से गिर पडा और उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई।  जीवनभर के लिए अपंग हो चुके डबलू को हर वक्त...

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मुश्किल है गरीबों की पहचान? : हर्ष मंदर

यदि आप किसी गांव में जाएं और ग्रामीणों से पूछें कि यहां रहने वाले लोगों में से कौन गरीब हैं, तो उनके लिए इस सवाल का जवाब देना कठिन नहीं होगा। शायद वे किसी दृष्टिहीन विधवा का नाम बताएं, या किसी बुजुर्ग दंपती की ओर इशारा करें, जो भीख मांगकर पेट भरते हैं, या कर्ज के बोझ तले दबे किन्हीं किसानों का उल्लेख करें। वे गरीबों की अपनी सूची में पिछड़ी जाति के...

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गेहूं का समर्थन मूल्य बढ़ाने को किसानों का ट्रैक्टर मार्च

जयपुर, जागरण संवाद केंद्र। देश भर में किसानों से खरीदे जाने वाले गेहूं का समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए भाजपा किसान मोर्चा से जुडे़ किसानों ने मंगलवार को जयपुर में टै्रक्टर मार्च निकाल कर सरकार का ध्यान खींचने का प्रयास किया। रैली के बाद मोर्चा के की ओर से प्रधानमंत्री के नाम राज्यपाल को ज्ञापन दिया गया। किसानों की ट्रैक्टर रैली उद्योग मैदान से रवाना होकर राजमहल पैलेस होटल के...

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मुद्दा: गरीब की नई परिभाषा

गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...

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पौष्टिक है गोल्डन राइस

दुनिया में खाद्यान्न के बढ़ते संकट की चुनौतियों का उपाय तलाशने में जुटे रिसर्च संस्थानों में शामिल फिलीपींस स्थित इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी ईरी के उप महानिदेशक ऑपरेशंस डॉ. विलियम जी पैडोलिना से संजय मिश्र की बातचीत: -उत्पादन बढ़ने के बावजूद विश्व में खाद्यान्न एक बड़ी समस्या बन गया है। आखिर भविष्य में इसकी पर्याप्त उपलब्धता को लेकर गंभीर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? यह सवाल उठना लाजिमी है,...

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