भारतीय जलवायु के बारे में कहा जाता है कि यहां केवल तीन ही मौसम होते हैं- मॉनसून पूर्व, मॉनसून और मॉनसून के बाद का मौसम. हालांकि, यह भारतीय जलवायु पर एक हास्योक्ति है, फिर भी मॉनसून पर मौसम की पूर्ण निर्भरता को अभिव्यक्ति देती है. मॉनसून के विभिन्न आयामों व इसके कमजोर होने के परिणामों और प्रभावों के विश्लेषण का एक प्रयास.. वर्षा की दृष्टि से भारत बड़ा में बड़ा विरोधाभास...
More »SEARCH RESULT
अगले 2-3 दिनों में उत्तर भारत में बारिश की संभावना, मक्के की बुआई पिछड़ी
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक अगले तीन से चार दिनों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर के अन्य हिस्सों में मानसून पहुंचने की संभावना है। ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि 6 जुलाई से मानसून पूर्व, केंद्रीय और उत्तरी भारत में सक्रिय हो सकता है। कम बारिश का असर खेती पर साफ दिखने लगा है। इसके चलते जून में खरीफ फसलों की बुआई पिछड़ गई है।...
More »मोटे अनाज की खेती से बहुरे किसानों के दिन
किसानों के लिए वह स्थिति और भी कष्टदायी होती है, जब मॉनसून फेल हो जाने या कम वर्षा होने के कारण वह सही तरीके से धान की फसल की बुआई नहीं कर पाते हैं. कृषि वैज्ञानिक किसानों को हमेशा यह सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में उन्हें खेती के दूसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए. खेती के लिए फसल के दूसरे विकल्पों में मक्का तथा मडुवा के...
More »स्त्री सशक्तीकरण की शर्तें- विकास नारायण राय
जनसत्ता 16 जून, 2014 : बलात्कार और हत्या पर राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए बदायूं के कटरा सादतगंज गांव में पहुंचने वाले राजनीतिकों को उपेक्षा से नहीं लेना चाहिए। न इस जमात के दूर से ऊलजलूल अर्द्ध-सत्य बोलने वालों को। दरअसल, इन सतही कवायदों में स्त्री-सशक्तीकरण के पैरोकारों के लिए एक निहित संदेश है- स्त्री-विरुद्ध हिंसा के मसलों पर समग्र राजनीतिक एजेंडे की सख्त जरूरत है। मीडिया, एनजीओ और कानून...
More »अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था- अविनाश कुमार चंचल
दुनियाभर के पर्यावरण विशेषज्ञ 2014 को अलनीनो का साल मान रहे हैं. अगर सच में यह साल अलनीनो के प्रभावों वाला होगा, तो यह भारत सहित समूचे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए चिंताजनक स्थिति बन सकती है. भारतीय मौसम विभाग ने भी इस साल मॉनसून में कमी का अनुमान जताया है. अलनीनो, मॉनसून और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव पर नजर डाल रहा है आज का नॉलेज. पर्यावरण के गंभीर खतरों के बीच...
More »