मुंबई. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि अगर चुनाव बाद स्थिर सरकार बनी तो अगले 5 वर्षों के दौरान देश की आर्थिक विकास दर औसतन 6.5 प्रतिशत रह सकती है। क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'चुनावी नतीजों से तो केवल कारोबारी धारणा सुधरती है। इकोनॉमी पर असली असर अगली सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों का पड़ेगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो फिर इससे आर्थिक...
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यूपीए तथा एनडीए का अर्थशास्त्र- डा. भरत झुनझुनवाला
विकास दर में वर्तमान गिरावट का कारण सरकारी राजस्व का रिसाव, भ्रष्टाचार में वृद्घि एवं चौतरफा कुशासन है. यह रिसाव बंद हो जाये तो उद्यमी निवेश करने लगेगा, उत्पादन बढ़ेगा, टैक्स की वसूली होगी और वित्तीय घाटा नियंत्रण में आ जायेगा. अपने चुनावी घोषणापत्र में एनडीए ने एफडीआइ का विरोध तो किया है, पर एनडीए मूल रूप से अर्थव्यवस्था में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश का स्वागत करता है. उनका विरोध खुदरा...
More »रिन्युएबल एनर्जी को बढ़ावा देने का है वक्त - संजीव कुमार
वैश्विक स्तर पर सरकारें औद्योगिक क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रीन इंडस्ट्रियल पॉलिसी पर काम कर रही है। इसके तहत रिन्युएबल एनर्जी के उत्पादन एवं खपत की दिशा में अधिक जोर दिया जा रहा है। यह ट्रेंड वैश्विक स्तर पर न केवल विकसित बल्कि विकासशील देशों में भी तेजी से अपनाया जा रहा है। इसका मकसद जीवाश्म ईंधन के बढ़ते इस्तेमाल से ग्लोबल वार्मिंग की...
More »जेब भरे तो सेहत सुधरे- कोई जरुरी तो नहीं
किसी देश की अर्थव्यवस्था तेज गति से छलांग लगा रही हो तो जरुरी नहीं कि वहां बच्चों के पोषण की दशा में भी सुधार हो रहा हो। प्रतिष्ठित लैंसेट ग्लोबल हैल्थ जर्नल में प्रकाशित एक शोध अध्ययन के मुताबिक प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) में बढोत्तरी का शुरुआती बालावस्था के कुपोषण को दूर करने से कोई सीधा रिश्ता नहीं है।(शोध-अध्ययन के लिए देखें नीचे दी गई लिंक) यह अध्ययन निम्न और...
More »योजनाएं नहीं दिलातीं वोट!- पत्रलेखा चटर्जी
कल्याणकारी योजनाएं क्या वोटों में तब्दील हो पाती हैं? राजनीतिक पंडितों की मानें तो ऐसा नहीं होता। इनका मानना है कि अगर घोषित तौर पर निर्धनों को समर्पित ये योजनाएं वास्तव में वोटों को पाने का कामयाब जरिया होतीं, तो 2014 के आम चुनावों से ठीक पहले कल्याणकारी एजेंडा रखने वाली कांग्रेस पार्टी की ऐसी दुर्गत न दिखती। कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के खस्ताहाल को बयां करते हर जनमत सर्वेक्षण के साथ...
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