नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार को गंगा की सफाई के बारे में उसके चुनाव घोषणा पत्र की याद दिलाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सवाल किया कि इस बारे में तत्काल जरूरी कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं। अदालत ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते के भीतर 2500 किलोमीटर लंबी इस पवित्र नदी को प्रदूषणमुक्त कराने की कार्ययोजना का खाका पेश करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति तीरथ सिंह...
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आप भी शुरू करें अपना रेडियो स्टेशन- आर के नीरद
मित्रों, पिछले अंक में हमने बात कि कैसे आप भी अपना अखबार निकाल सकते हैं और उसके जरिये गांव-पंचायत में बदलाव ला सकते हैं. इस अंक में हम बात कर रहे हैं सामुदायिक रेडियो की. आप जानते हैं कि जब गांवों में अखबार नहीं पहुंचा था, तब रेडियो ही लोगों के मनोरंजन, ज्ञान और सूचना का बड़ा माध्यम था. आज भी वहां रेडियो के कार्यक्रम और समाचार सुने जाते हैं,...
More »छोटे किसानों के हित में- एम के वेणु
अधिकांश विदेशी राजनयिकों और आर्थिक विशेषज्ञों की सोच है कि व्यापार सुगमता समझौता (टीएफए) पर तब तक हस्ताक्षर न करने की बात कहकर, जब तक कि खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में एक अरब भारतीयों की चिंता दूर नहीं कर दी जाती, भाजपा ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की भारत यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया बयान स्थितियां स्पष्ट...
More »किसे है जीएम फसलों की जरूरत? - देविंदर शर्मा
गिल्स-एरिक सेरालिनी फ्रांस के नोर्मांडी में स्थित काएन यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक हैं। दो साल पहले, वर्ष 2012 में उनके एक शोध पत्र ने वैज्ञानिक जगत में खलबली मचा दी थी। सेरालिनी ने कुछ चूहों को दो वर्ष तक जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) अनाज खिलाया था। नतीजे चौंकाने वाले रहे। चूहों के शरीर पर बहुत बड़े आकार वाली गांठें उभर आईं। साथ ही उनमें यकृत और गुर्दे की बीमारियां भी पाई गईं।...
More »गांवों के विकास में उद्योगों की साझेदारी -डॉ. अनिल प्रकाश जोशी
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब यूरोप की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई, उस समय उद्योगों को मूलमंत्र मानकर विकास की रूपरेखा तैयार की गई। इसी समय दो बड़े परिवर्तन भी हुए। पहला, विकास की परिभाषा इस तरह गढ़ दी गई, जिसका सीधा-सीधा मतलब था कि उद्योग और उससे जुड़े तमाम आयामों को ही विकास मान लिया जाए। दूसरा, इसके बाद ही भोगवादी सभ्यता का चलन बढ़ा। अपने देश ने भी स्वतंत्रता के बाद...
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