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खुले बाजार की दर पर हो किसानों की जमीन का अधिग्रहण

जौनपुर : भारतीय जनता किसान मोर्चा ने किसानों की भूमि अधिग्रहण नीति की आलोचना की है। उसका कहना है कि भूमि अधिग्रहण का मुआवजा खुले बाजार के रेट पर दिया जाय। इस सम्बन्ध में बुधवार को राष्ट्रीय परिषद सदस्य इन्द्रदेव सिंह के नेतृत्व में महामहिम राष्ट्रपति को सम्बोधित एक ज्ञापन भी नगर मजिस्ट्रेट को दिया गया। ज्ञापन में कहा गया है कि 1894 का भूमि अधिग्रहण कानून आज किसानों के...

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किसानों को नहीं मिला फसल बीमा का लाभ

चक्की (बक्सर)एक प्रतिनिधि : किसानों को काफी हद तक राहत देने वाली सरकारी स्तर पर चल रही फसल बीमा का अता-पता नही है। इस लाभकारी योजना से करीब अस्सी फीसदी किसान अंजान है। इस संबंध में बरमेश्वर मिश्रा, ओमनारायण मिश्रा, उपेन्द्र ओझा, विश्वामित्र पांडेय कहते है। मानसून के दौरान आवाधिक पानी कम होने के कारण सूखा की स्थिति कायम हुई। जिससे खरीफ की खेती में जुताई, बुआई करने से घर...

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उनके किशन जी, मेरे किशन जी, और आपके?- योगेन्द्र यादव

1. मीडिया की दुनिया के लिए किशन जी का मतलब है माओवादियों के भूमिगत नेता किशनजी. 2. कुछ साल पहले तक किशन जी नाम एक दूसरी और बहुत भिन्न छवि से जुड़ा था. 3. कोशिश करें तो बंगाल की खाड़ी की गोद में पले इन दोनों क्रांतिकारियों में कुछ साम्य ढूंढा जा सकता है. इधर जब भी अखबार या टीवी में ’किशन जी’ का जिक्र आता है, मेरे भीतर कुछ होता है. ढांपने...

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वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी

विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...

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पीपीपी से सावधान -योगेश दीवान

 भूमंडीलकरण-उदारीकरण के इस काल में अचानक एनजीओ या सिविल सोसाइटी समूहों की बाढ़ आना और वह भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, परिवहन और भोजन के मुद्दों पर थोड़ा शक पैदा करता है. खासकर, डब्ल्यूएसएफ की उस पूरी प्रक्रिया के बाद जो कहता था- “एक और दुनिया संभव है.” WSF इस असंभव को संभव बनाया है पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के उस मॉडल ने, जो न सीधा निजीकरण है न पूंजीवाद और न...

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