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स्नेह के स्पर्श से जी उठी कोसी

देहरादून, [अरविंद शेखर]। इंसानी करतूतों से पल-पल मरती कोसी के लिए उम्मीद की लौ करीब-करीब बुझ चुकी थी। कभी कोसी नदी की इठलाती-बलखाती लहरों में मात्र स्पंदन ही शेष था। यह तय था कि नदी को जीवनदान देना किसी के वश में नहीं। इन हालात में कोसी को संजीवनी देने का संकल्प लिया इलाके की मुट्ठीभर ग्रामीण महिलाओं ने। नतीजतन आज कोसी के आचल फिर लहरा रहा है। आसपास के इलाके में हरियाली लौट आई है।...

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उर्दू सहित क्षेत्रीय भाषाओं में भी रेलवे भर्ती परीक्षाएं

कानपुर। महाराष्ट्र सहित देश के कई हिस्सों में भाषा व क्षेत्रीयता को लेकर चल रहे घमासान के बीच रेल मंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को यहाँ ऐलान किया कि उर्दू सहित क्षेत्रीय भाषाओं में भी रेलवे बोर्ड की भर्ती परीक्षाएं होंगी। रेलवे के लोको मैदान में रेलगाड़ियों को रवाना करने के लिए आयोजित समारोह में रेल मंत्री ने कहा कि कामयाब होने के लिए पूरे देश को एक सूत्र में बांधने की सोच होना...

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आदिवासियों का विश्वस्तर पर जनसंहार- यूएन रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र संघ की द स्टेट ऑव द वर्ल्डस् इंडीजीनस पीपल्स नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि मूलवंशी और आदिम जनजातियां पूरे विश्व में अपनी संपदा-संसाधन और जमीन से वंचित और विस्थापित होकर विलुप्त होने के कगार पर हैं। रिपोर्ट में भारत के एक सूबे झारखंड में चल रहे खनन कार्य के कारण विस्थापित हुए संथाल जनजाति के हजारो परिवारों का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्हें समुचित मुआवजा तक हासिल नहीं हो...

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गूंगी हो रही हैं 90 फीसदी बोलियां

न्यूयॉर्क। दुनिया भर में 7,000 बोलियां हैं, जो मौखिक ही हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले 100 वर्षो में इनके विलुप्त होने का खतरा है। संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार दुनिया के मूल निवासियों की भाषा पर रिपोर्ट दी है। इसमें कहा गया है, ‘दुनिया भर में करीबन 6,000 से 7,000 बोलियां ऐसी हैं, जिनका मौखिक स्वरूप ही है, लिखित नहीं। इनके बोलने वाले मूल निवासी हैं। इनमें से अगर सबके नहीं, तो...

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नरेगा के जमीनी समीकरण- सामाजिक अंकेक्षण और सरपंच

सुख अकेले टहलते हैं,दुःख झुंड बनाकर रहते हैं।सुख चेहरे से छलकता है,दुःख चेहरे पर जमा रहता है।सुखों के लिए चौराहे होते हैं और दुःखों के लिए वह कोना जहां किसी की गुजर ही नहीं। गुलाबी नगरी जयपुर में गुजरे 15 दिसंबर को स्टेशन से लगते जीपीओ के पास बने शहीद स्मारक के घेरे में आलम कुछ ऐसा ही था।   कुल 1 हजार की तादाद में पगड़ियां थीं और उनका रंग मटमैलेपन के बीच पूरी शान...

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