नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आबादी में पिछड़ी जातियों के अनुपात को लेकर कोई ताजा आंकड़ा नहीं होने के बावजूद जनगणना में यह सवाल शामिल करने से इन्कार करना गृह मंत्रालय के लिए भारी पड़ता जा रहा है। गुरुवार को लोकसभा में इस विषय पर चर्चा के दौरान लगभग सभी दलों ने जाति आधारित गणना की वकालत की। यहां तक कि कांग्रेस के भी कुछ सदस्यों ने अन्य पिछड़ा वर्ग के संबंध में आंकड़े जुटाने को बेहद...
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कहीं विलुप्त ना हो जाए आदिवासी संस्कृति
नई दिल्ली। अरविंद जयतिलक संयुक्त राष्ट्र संघ की द स्टेट आफ द वर्ल्ड्स इंडीजीनस पीपुल्स नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि मूलवंशी और आदिम जनजातिया पूरे विश्व में अपनी संपदा, संसाधन और जमीन से वंचित व विस्थापित होकर विलुप्त होने के कगार पर हैं। रिपोर्ट में भारत के झारखंड राज्य की चर्चा करते हुए कहा गया है कि यहा चल रहे खनन कार्य के कारण विस्थापित हुए संथाल जनजाति के हजारों परिवारों को आज...
More »गांव की समृद्धि के लिए वृद्धा की बलि
लातेहार। दुनिया भले ही चांद पर जा रही हो, मंगल पर लोगों को बसाने का सपना देखा जा रहो हो, लेकिन धरती के कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां धर्म के नाम पर हैवानियत हावी है। जी हां, यह अविश्वसनीय, लेकिन सच है। सदर प्रखंड के खैराखास गांव में सुख-समृद्धि के लिए बैगा पाहनों ने 65 वर्षीया वृद्धा बूदनी मसोमात की बलि दे दी। घटना बीते आठ अप्रैल की है, लेकिन इसका खुलासा बारह दिन बाद...
More »नासूर बना नक्सलवाद
नई दिल्ली [इरा झा]। बस्तर के दंतेवाड़ा में नक्सलियों के हाथों सीआरपीएफ के लगभग 80 जवानों को बेरहमी से मौत के घाट उतारे जाने के कारण अब सरकार और नक्सली दोनों ही खेमों के बीच लड़ाई के पाले साफ-साफ खिंच गए हैं। इसे नक्सलियों का रणनीतिक प्रतिवाद माना जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने इस जघन्य हमले के द्वारा अपने बीच फूट पड़ने, बड़े नेताओं की गिरफ्तारी से काडर में घबराहट और दिशाहीनता तथा...
More »सब ताज उछाले जाएंगे, सब तख्त गिराये जाएंगे- अरुंधति रॉय
दंतेवाड़ा को समझाने के कई तरीके हो सकते हैं। यह एक विरोधाभास है। भारत के हृदय में बसा हुआ राज्यों की सीमा पर एक शहर। यही युद्ध का केंद्र है। आज यह सिर के बल खड़ा है। भीतर से यह पूरी तरह उघड़ा पड़ा है। दंतेवाड़ा में पुलिस सादे कपड़े पहनती है और बागी पहनते हैं वर्दी। जेल अधीक्षक जेल में है, और कैदी आजाद (दो साल पहले शहर की पुरानी जेल से करीब 300...
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