धर्मशाला। किसानों को खाद के संकट से निजात दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने जापानी तकनीक से जैविक खाद बनाने के लिए 440 करोड़ रुपए की योजना की घोषणा की है। मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने सोमवार को धर्मशाला के साथ लगते दाड़ी में यह ऐलान किया। मुख्यमंत्री यहां सीनियर सेकंडरी स्कूल के भवन की आधारशिला रखने आए थे। उन्होंने कहा, खेतीबाड़ी को बढ़ावा देने के लिए 1200 करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू की...
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सरकार तय करेगी निजी अस्पतालों में टेस्ट और डॉक्टरों की फीस
भोपाल. निजी अस्पतालों में टेस्ट और डॉक्टरों की फीस का निर्धारण सरकार खुद करने की कवायद कर रही है। ऐसा होने से मरीजों को एक ही जांच की अलग-अलग कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। दरअसल अलग-अलग अस्पतालों में एक ही जांच की कीमतों में असमानता है। ऐसा प्रदेश में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) एक्ट 2010 लागू होने के बाद होगा। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से एक्ट...
More »प्रदेश से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों को किसानों की परवाह नहीं : प्रभात
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने प्रदेश से जुड़े चारों केंद्रीय मंत्रियों पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है । झा ने कहा कि उपचुनाव में कुक्षी और सोनकच्छ विधानसभा में उनकी पार्टी का ही कब्जा रहेगा । प्रभात झा ने चारों केंद्रीय मंत्री च्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ, कातिलाल भूरिया और अरुण यादव पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया । झा ने कहा कि इन चारों को...
More »मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में फिर गई किसान की जान
इछावर/ब्रिजीस नगर. कर्ज से डूबे सीहोर के एक और किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में एक पखवाड़े के भीतर ‘ऋणी किसान’ की आत्महत्या का यह दूसरा मामला है। जान गंवाने वाले किसान पर बैंकों के अलावा साहूकारों का भी लाखों का कर्ज था। आए दिन होने वाले तकाजे और पाले से तबाह फसल से हताश ब्रिजीस नगर के शिवप्रसाद मेवाड़ा ने खेत...
More »कुपोषण की चपेट में सहरिया जनजाति के नौनिहाल-एएचआरसी
परंत, राजवीर, रामकुमारी,सन्नी- ये नाम घनघोर कुपोषण में दम तोड़ने वाले बच्चों के हैं। 3 साल या फिर इससे भी कम उम्र के सभी बच्चे मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले गांवों में आबाद सहरिया जनजाति के हैं। आशिक, कुलदीप,पवन और मालती जैसे कुछ बच्चे और हैं, ये भी सहरिया जनजाति के ही हैं और कुपोषण की चपेट में इनका भी दम किसी क्षण टूट सकता है।(देखें लिंक संख्या-1) मानवाधिकारों के मोर्चे पर...
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