हवा में 'स्मार्ट सिटीज' के चर्चे हैं। लेकिन मीडिया की चकाचौंध से दूर देश के अनेक गांव भी स्मार्ट होने लगे हैं। मसलन, हरियाणा में बच्चियों को बचाने की अनोखी पहल के तहत जिंद की एक ग्राम पंचायत ने, जहां अब तक लड़कों की तुलना में लड़कियों का अनुपात अब तक बहुत कम रहा है, 'सेल्फी विद डॉटर' प्रतियोगिता शुरू की है। बीबीपुर ग्राम पंचायत ने यह प्रतियोगिता शुरू की...
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महंगी कोचिंग पर भारी गोरेलाल मास्टर का सरकारी स्कूल
शिवप्रताप सिंह जादौन, मुरैना। शहर से 30 किमी दूर नूराबाद के घने जंगलों में एक छोटा सा प्राइमरी स्कूल है। यहां पदस्थ हैं 51 वर्षीय गोरेलाल मास्टर। 25 साल पहले वे इस स्कूल में आए और उन्होंने जंगल के गांवों में रहने वाले गरीब व आदिवासी बच्चों की किस्मत बदल दी। उन्होंने बच्चों को नवोदय व सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी शुरू करवाई। अब तक दर्जनों बच्चे एक ही प्रयास...
More »झारखंड-- मान्यता के बिना 4000 छात्रों का साल होगा बरबाद
दो साल पहले मई 2013 में पूरे प्रदेश से आठ स्कूलों ने सीबीएसइ की मान्यता लेने के लिए अप्लाइ किया. इसमें 20 हजार रुपये भी खर्च किये गये. आवेदन को सीबीएसइ ने एप्रूव भी कर दिया, लेकिन अब तक मान्यता देने की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई. न कमेटी बनी है और न ही स्कूल की जांच की गयी है. अब, जब स्कूल में 9वीं की पढ़ाई 2015 अप्रैल सेशन से...
More »दाखिले की मारामारी
हर साल जून का महीना देश के उन लाखों परिवारों के लिए ढेर सारी परेशानियां लेकर आता है, जिनके बच्चों ने कक्षा-12 को पास कर लिया है। माना यही जाता है कि मेहनत और उसके अच्छे नतीजे भविष्य के लिए कई दरवाजे खोल देते हैं। पर स्कूली शिक्षा से कॉलेज शिक्षा की ओर जाने वाले मार्ग पर आजकल अक्सर ऐसा नहीं होता। अच्छे विश्वविद्यालय और कॉलेज में दाखिला कठिन होता...
More »आपातकाल से हमने क्या सीखा- नीलांजन मुखोपाध्याय
किसी भी देश में थानेदार मानसिकता वाले लोगों की बड़ी संख्या आपको मिल जाएगी। भारत में इस तरह की सोच दरअसल औपनिवेशिक मानसिकता वाले ऐसे लोगों के जरिये आई है, जिन्हें अंग्रेजों ने स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया था। स्थानीय थाने के वे दारोगा हमारे आदर्श बने, जिनके पास निरंकुश क्षमता थी और जिन्हें अपने अधीनस्थों को किसी भी किस्म की सफाई देने की जरूरत नहीं थी। गणतंत्र...
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