सासाराम (ग्रामीण) : जिन हाथों में कलम होना चाहिए था, उन बच्चों को लाचारी ने हथौड़ा व जुटी प्लेट थमा दी. यही नहीं, कड़ी मेहनत के बावजूद नन्हें हाथों को दो जून की रोटी भी नहीं मिल पाती है. कर्ज के बोझ तले दबे माता-पिता ने इन बच्चों को पढ़ाने के बजाये भुखमरी से निबटने के लिए होटल चलाने वालों के हवाले अपने नन्हें बच्चों की जिंदगी कर देते...
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शौचालय निर्माण का लक्ष्य 2300, पांच माह में बन पाए केवल 222
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर घर शौचालय का सपना मुख्यमंत्री के गृह जिले के कवर्धा शहर में पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। प्रधानमंत्री के मंशानुरूप गांव-शहर को खुले में शौच मुक्त बनाने का प्रयास किया तो जा रहा है, लेकिन इस प्रयास में नगर पालिका कवर्धा काफी पीछे है। नगर पालिका कवर्धा को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए शहर में 2300 शौचालय का निर्माण किया जाना...
More »JU के नाम पर तेलंगाना में 3 लाख में बिकीं डिग्रियां
ग्वालियर। प्रदेश के शिक्षा माफिया ने तेलंगाना में भी फर्जीवाड़ा किया है। इन लोगों ने वहां स्टडी सेंटर खोलकर एक-एक लाख रुपए में जीवाजी यूनिवर्सिटी (JU) की डिग्रियां दिलाने का काम शुरू कर दिया। फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब तेलंगाना से CID की टीम सोमवार शाम JU पहुंची। तेलंगाना से आई टीम ने जानकारी दी वहां 4 स्टडी सेंटर खोले गए हैं, जो JU के नाम पर BPEd में...
More »लोकतंत्र की जड़ में राजनीति का मट्ठा - सुभाष कश्यप
अब जाकर उम्मीद जगी है कि आज से तीन दिन संसद के शीतकालीन सत्र में थोड़ा-बहुत विधायी कामकाज हो सकेगा। लेकिन क्या पहले ही बहुत देर नहीं हो चुकी है? पहले समूचे मानसूत्र सत्र और अब शीतकालीन सत्र के एक बड़े हिस्से के दौरान लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली संसद में जो कुछ देखने को मिला है, वह बेहद दु:खद और अप्रत्याशित रहा है। संसद के दोनों ही सदनों...
More »दंड विधान को उदार बनाने का वक़्त-- शशि थरुर
ब्रिटिश शासकों से विरासत में मिली हमारी संसदीय व्यवस्था में कानून बनाने का काम मोटे तौर पर सरकार द्वारा संचालित है। ऐसा प्रावधान नहीं है कि विपक्षी दल विधेयक लाएं और उन्हें पारित कर कानून का रूप देने का प्रयास करें। हालांकि, संसद सदस्य व्यक्तिगत रूप से ऐसा कर सकते हैं। इस प्रावधान को ‘निजी सदस्य के विधेयक' कहा जाता है। संसद चल रही हो तो हर शुक्रवार की दोपहर...
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