भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की राय सबसे जुदा होती है। इन दोनों में वह मानव विकास के मायने ढूंढ़ते हैं। नई सरकार की चुनौतियों व संभावनाओं और मौजूदा सरकार की उपलब्धियों तथा खामियों पर उनसे ललिता पणिकर और गौरव चौधरी ने विस्तृत बातचीत की। बातचीत के अंश- आर्थिक मंदी के बीच नई सरकार की क्या प्राथमिकताएं होनी चाहिए? कुछ लंबे समय के मुद्दे होते हैं...
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मनमोहन सिंह सफल रहे पर भ्रष्टाचार नहीं मिटा पाये- अमर्त्य सेन
भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की राय सबसे जुदा होती है। इन दोनों में वह मानव विकास के मायने ढूंढ़ते हैं। नई सरकार की चुनौतियों व संभावनाओं और मौजूदा सरकार की उपलब्धियों तथा खामियों पर उनसे दैनिक हिन्दुस्तान के ललिता पणिकर और गौरव चौधरी ने विस्तृत बातचीत की। बातचीत के अंश- आर्थिक मंदी के बीच नई सरकार की क्या प्राथमिकताएं होनी चाहिए? कुछ लंबे समय के...
More »वाम के लिए सबक- अरुण माहेश्वरी
जनसत्ता 21 मई, 2014 : सोलहवीं लोकसभा के चुनाव में नरेंद्र मोदी और भाजपा की भारी लेकिन एक प्रकार से प्रत्याशित जीत ही हुई है। चुनाव प्रचार के दौरान ही इसके सारे संकेत मिलने लगे थे। फिर भी हमारे इधर के कई मंतव्यों से यह साफ है कि हम सामने दिखाई दे रहे इस सच को संभवत: समझ या स्वीकार नहीं पा रहे थे। हालांकि हमने ही अपनी एक टिप्पणी...
More »अब देश की उम्मीदें पूरी करने की चुनौती - परंजॉय गुहा ठाकुरता
विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र निर्णायक ढंग से एक नई दिशा में मुड़ गया है। जिस भगवा लहर के उफान के कयास लगाए जा रहे थे, वह भाजपा और उसकी अगुआई वाले एनडीए के पक्ष में सुनामी बनकर उभरी है। देश के उन हिस्सों में भी नरेंद्र मोदी ने नाटकीय ढंग से अपनी पार्टी की तकदीर बदल दी है, जिनमें वह परंपरागत रूप से मजबूत नहीं रही थी। हिंदी पट्टी...
More »राजनीतिक विमर्श और जन-स्वास्थ्य- नीकी नैनसी
जनसत्ता 9 मई, 2014 : सोलहवीं लोकसभा के चुनाव अपने आखिरी चरण में हैं, लेकिन अभी तक किसी पार्टी ने सामाजिक विकास को लेकर कोई ठोस बहस या तथ्य पर आधारित चर्चा करने की जरूरत नहीं समझी है। किसी भी पार्टी का घोषणापत्र उठा लें, एक बात पर सभी अपना दावा करते नजर आएंगे- आर्थिक और समेकित विकास। इन भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल में आपको कोई कटौती नहीं मिलेगी, चाहे...
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