टना : आद्री के सदस्य सचिव व समाजशास्त्री शैबाल गुप्ता ने कहा कि भारत में केरल के बाद बिहार में सामाजिक क्षेत्र में अधिक निवेश हुआ है. खासकर स्वास्थ्य के क्षेत्र में. सामाजिक क्षेत्र में निवेश का परिणाम ही विकास के रूप में सामने आता है. भारत में वर्किंग पॉपुलेशन का औसत अभी ठीक है. विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर आयोजित कार्यशाला में गुप्ता ने बताया कि यह विडंबना...
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सड़क न पगडंडी, कुंआरों को नहीं मिलतीं दुल्हनें-- जीतेन्द्र कुमार झा
जमुई जिले के इस गांव में जब कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है, तो उसे अस्पताल ले जाने में लोगों की सांस अटक जाती है। इलाज के अभाव में कई लोग असमय दम तोड़ देते हैं। यह गांव है जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर पर बसा लठाने नीचली टोला। पीड़ा यह कि गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क तो छोड़िये, कच्ची सड़क भी नहीं है।...
More »संस्थाओं की साख का सवाल-- जगमोहन सिंह राजपूत
शिक्षा एक ऐसी गतिशील प्रक्रिया है, जिसका निर्मल प्रवाह जीवनदायिनी धारा है। जिस समाज और सभ्यता में शिक्षा के इस महत्त्व को समझ लिया जाता है, उसकी प्रगति की राह के हर प्रकार के अवरोध दूर करने के ज्ञान और कौशल से युक्त व्यक्ति सदा आगे आ जाते हैं। आज शिक्षा की अवश्यकता किसी को भी समझानी नहीं पड़ती है। सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि संविधान के निर्देशानुसार चौदह वर्ष...
More »7000 की आबादी का गांव तीन दिन से नर्मदा के पानी से कैद
अम्बुज माहेश्वरी, रायसेन। रायसेन जिले में सबसे अधिक आबादी वाला गांव भारकच्छ कलां बीते तीन दिनों से नर्मदा नदी में बढे जल स्तर के कारण पानी में कैद है। जिले के इस सबसे बड़े गांव से बाहर निकलने के सभी रास्ते बंद है और लोग नर्मदा नदी में अब भी बढ़ रहे जल स्तर से चिंतित है। गांव से लगी नर्मदा उफान पर आती जा रही है और इससे बकतरा, बरेली,...
More »आर्थिक सुधार- नई मंजिलें- पी चिदंबरम
पिछले हफ्ते भारत में आर्थिक सुधार और भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के पच्चीस साल पूरे हुए। सरकार ने इस अवसर की अनदेखी की, और इसकी वजह समझना मुश्किल नहीं है: आर्थिक सुधार पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार ने शुरू किए थे, और तब भाजपा ने इसका पुरजोर विरोध किया था। (स्वदेशी जागरण मंच का वजूद आज भी है।) कल्पना करें कि 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी...
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